scriptGanesh Chaturthi 2017: गणेश विसर्जन पर ऐसे करें गणपति की पूजा | Ganpati Visarjan 2017 Ganesh Chaturthi Shub Muhurat Date and Time in India | Patrika News

Ganesh Chaturthi 2017: गणेश विसर्जन पर ऐसे करें गणपति की पूजा

locationभोपालPublished: Sep 02, 2017 11:38:00 am

गणेश चतुर्थी पर बप्पा(श्री गणेश) भी कैलाश पर्वत से उतर कर लोगों को आर्शीवाद देने आते हैं। इसीलिए तो हर घर में बप्पा का स्वागत होता है।

Ganesh Visarjan
भोपाल। गणेश चतुर्थी के उत्सव को लेकर भक्त बहुत उत्सुक रहते हैं। कहा भी जाता है कि गणेश चतुर्थी पर बप्पा(श्री गणेश) भी कैलाश पर्वत से उतर कर लोगों को आर्शीवाद देने आते हैं। इसीलिए तो हर घर में बप्पा का स्वागत होता है। पूरी भक्ति, श्रद्धा के साथ बप्पा की पूजा करते हैं। इस बार भगवान गणेश उत्सव 10 दिन नहीं बल्कि 11 दिन तक चलेगा। गणेश उत्सव के करीब आधे दिन बीत जाने के बाद अब उनके विसर्जन की घडी नजदीक आ रही है, ऐसे में गणेश विसर्जन के संबंध में पंडित सुनील शर्मा के अनुसार हमें कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए।
गणेश चतुर्थी की पूजा ऐसे करें:
गणेश पूजा करते समय कई बातों का ध्यान रखा जाता है। जैसे दाएं हाथ की ओर घूमी हुई सूंड वाले गणपति की प्रतिमा को मंदिर में नहीं लगाया जाता। हिंदू परंपरा के अनुसार इस पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं करना चाहिए। बप्पा को मोदक बहुत पसंद है इसीलिए घर में शुद्ध तरीके से बनाएं। ऐसा करने से बप्पा खुशा होंगे।
ऐसे करें गणेश विसर्जन:
बप्पा का विसर्जन करने से पहले भगवान गणेश की आरती की जाती है। तिलक लगाकर, फल और मोदक चढ़ाकर मंत्रो का उच्चारण करते हैं। इसके बाद भगवान को चढ़ाया गए फल और मिठाई को लोगों को बांटा जाता है।

विसर्जन के पहले पूजा स्थान से गणपति की प्रतिमा को उठाएं। साथ में फल, फूल, वस्त्र और मोदक रखें। इस पूजा में दीपक, धूप, पुष्प, चावल और सुपारी को एक लाल कपड़े में बांध कर रख लें। जिसे विसर्जन के दौरान प्रयोग करें।

जैसे ही बप्पा की मूर्ति उठा लें उसके बाद लगातार बप्पा के मंत्र, गणपति बप्पा मोरया का उच्चारंण करें। फिर इसे अपने विसर्जन के स्थान पर लें जाएं, विसर्जन के दौरान बप्पा के अगले साल आने की भी कामना करते रहें।
गणेश विसर्जन तिथि :
4 सितंबर, 2017 को चतुर्दशी तिथि सुबह 12:14 बजे शुरू होगी।
चतुर्दशी तिथि 5 सितंबर, 2017 को 12:41 बजे समाप्त हो जाएगी।

ये हैं गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त :
सुबह का मुहूर्त (चार, लाभ, अमृत) – 09:32 बजे- 14:11 अपराह्न।
दोपहर का मुहूर्त (शुभ) = 15: 44 बजे- 17:17 बजे।
शाम का मुहूर्त(प्रयोग) = 20:17 अपराह्न – 21: 44 बजे।
रात का मुहूर्त (शुभ, अमृत, चार) = 23:11 बजे।
गणपति बप्पा पर भूलकर भी न चढ़ाएं तुलसी:—
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार पूजा के समय आपको कुछ बातों को लेकर सावधान रहना चाहिए। मान्यता है कि बप्पा का जन्म भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था।
पूरे भारत में इस पर्व को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। विघ्नहर्ता की मूर्ति स्थापना करने के बाद पूजा करते समय एक बात जिसका आपको विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए और वो ये है कि पूजा सामाग्री एकत्रित करते समय तुलसी को शामिल न करें क्योंकि बप्पा को तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है।
ये है कहानी :
पौकाणिक कथा के अनुसार, गणपति जी गंगा किनारे बैठकर तपस्या कर रहे थे और वहीं तुलसी घूम रही थीं, ऐसा माना गया है कि तुलसी उन्हें देखकर उनकी ओर आकर्षित हो गईं और फिर मन ही मन उन्हें अपना पति बनाने के बारे में सोच लिया था। वहीं दूसरी ओर गणपति जी तपस्या में लीन थे लेकिन तुलसी से रहा नहीं गया और अपनी बात कहने के लिए उनका ध्यान भंग कर दिया।

गणपति जी का ध्यान जब भंग हो गया तो तुलसी जी ने उन्हें अपने दिल की बात सुनाई, बड़ी ही शालीनता से गणपति जी ने उनके प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए कहा कि वह ऐसी लड़की से विवाह करेंगे जिसके गुण उनकी मां पार्वती से मिलेंगे।
गणपति जी की ये बात सुनकर तुलसी जी को लगा ये उनका अपमान हो गया और उन्हें गुस्सा आ गया। वह इतनी क्रोधित हो गई कि तुलसी जी ने गणपति जी को श्राप दे दिया। तुलसी जी ने गणपति जी को श्राप देते हुए कहा कि आपका विवाह आपकी इच्छा से बिल्कुल उलट होगा और दो शादियां होंगी। तुलसी जी की ये बात सुनकर गणपति जी भी क्रोधित हो गए और उन्होंने भी तुलसी जी को श्राप दे दिया कि तुम्हारा विवाह किसी राक्षस के साथ होगा।
गणपति जी के श्राप से तुलसी जी को अपनी गलती का एहसास हुआ और फिर उन्होंने तुरंत गणपति जी से माफी मांगी। माफी मांगने के बाद गणेश जी का क्रोध शांत हुआ तो उन्होंने कहा कि तुम्हारा विवाह शंखचूर्ण नाम के राक्षस से होगा।

गणपति जी ने कहा कि तुम श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु की प्रिय मानी जाओगी, कलयुग में तुम जीवन और मोक्ष देने वाली बनोगी। बता दें कि उन्होंने आगे बोला लेकिन मेरी पूजा में तुलसी चढ़ाने को अशुभ माना जाएगा। इसी के बाद से भगवान गणेश को तुलसी नहीं चढ़ाई जाती।

ट्रेंडिंग वीडियो