मेनिट से लेकर बिट्टन मार्केट तक ग्रीन बेल्ट तो अतिक्रमण के चलते कहीं-कहीं नाम के लिए ही बची है। पीएचई ऑफिस के सामने ही ग्रीन बेल्ट में मलबा पड़ा है। सेंट्रल वर्ज पर एक से डेढ़ फीट ऊंची रेत-मिट्टी-कचरा का ढेर लग चुका है। कुछ बड़े पेड़ों को छोड़ दें तो पौधे अधिकांश गायब हो चुके हैं। इससे शहर की बदसूरत छवि दिखाई देती है। बिट्टन मार्केट चौराहे से शाहपुरा तालाब की ओर जाने वाले रास्ते पर जगह-जगह काम करने वालों ने ग्रीन बेल्ट और सेंट्रल वर्ज को मिटा सा दिया है।
पर्यावरण परिसर तिराहे से गंगाधर तिलक चौराहे की ओर दोनों तरफ का ग्रीन बेल्ट मलबे और कचरे से अटा पड़ा है। यहां कचरे तो कम है, लेकिन सड़क निर्माण का कचरा दोनों ओर ग्रीन बेल्ट में पटका गया है। मलबे के पहाड़ से बन गए हैं। यह क्षेत्र शहर के स्वच्छतम इलाकों में आता है। इस सड़क के दोनों ओर की ग्रीन बेल्ट सीपीए वन विभाग के अधीन है। इसी रोड पर स्थित कांग्रेस जिलाध्यक्ष पीसी शर्मा के आवास के सामने सीपीए फॉरेस्ट की फेंसिंग को तोड़कर ग्रीन बेल्ट कब्जा की गई है, जिसमें गाडिय़ां पार्क की जा रही हैं। पास ही कचरा/मलबा भी पटका गया है।
1100 क्वार्टर्स वाले चौराहे से शाहपुरा गांव तक अरेरा ई-7 कॉलोनी के समानांतर जा रहे ग्रीन बेल्ट को तो बर्बाद ही कर दिया है। सब्जी और ठेल वाले भी ग्रीन बेल्ट में कचरा फेंक रहे हैं। दूसरी ओर निर्माण कार्यों का मलबा भी इस ग्रीन बेल्ट में पटका गया है। उपेक्षा के शिकार इस ग्रीन बेल्ट में वर्षों से सफाई ही नहीं कराई गई है। कचरे/मलबे के कारण ग्रीन बेल्ट का लेवल जमीन से कई फीट ऊपर उठ गया है। ई-7 की ओर कुछ स्थानों पर चल रहे निर्माण कार्य का वेस्ट भी पटका जा रहा है।
कैम्पियन स्कूल की बाउंड्री वाल के पास ग्रीन बेल्ट में राजधानी परियोजना प्रशासन द्वारा वर्ष 2016-17 में 340 पौधे लगाने का बोर्ड लगा हुआ है। पौधों की जगह यह पट्टी भी मलबे/कचरे से भरी पड़ी है। आगे शाहपुरा, त्रिलंगा होते हुए गुलमोहर कॉलोनी का यही हाल है। ग्रीन बेल्ट और सेंट्रल वर्ज मलबे/कचरे और अतिक्रमण ने निगल लिए हैं। गुलमोहर कॉलोनी में शहीद अजय प्रसाद पार्क से लेकर नहर तक सेंट्रल वर्ज से पौधे तो गायब हैं, लेकिन मलबे/कचरे की गंदगी मन उचाट कर रही है।
मलबा साफ करना हमारा काम नहीं। हम सॉलिड वेस्ट का निस्तारण करते हैं। जहां कचरे की बात कही जा रही है तो उसे दिखवाता हूं।
एमपी सिंह, अपर आयुक्त, नगर निगम
ग्रीन बेल्ट जरूर सीपीए की है, लेकिन वहां से कचरा/मलबा हटाना नगर निगम का काम है। इसके लिए उन्हें फंड मिलता है।
सुदीप सिंह, कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट, सीपीए