विभाग ने निकाला था यह आदेश
दरअसल, करीब एक माह पहले गैस राहत विभाग ने गैस पीड़ितों का इलाज विभाग की जगह आयुष्मान योजना के तहत करने का फैसला किया था। इसके तहत गैस पीड़ित परिवार का सालाना पांच लाख तक का उपचार आयुष्मान योजना से करने का प्रस्ताव पास किया था। तब कई मरीजों ने कार्ड न होने की शिकायत की थीं, तो अफसरों ने परेशानियां दूर करने का आश्वासन दिया था। गैस पीड़ित मरीजों के लिए काम करने वाली रचना ढींगरा का कहना है कि सिर्फ कैंसर की ही बात करें तो आयुष्मान में कई तरह के कैंसर शामिल नहीं हैं। ऐसे में इलाज के लिए परेशान होना पड़ रहा है।
केस 1- आयुष्मान में शामिल नहीं
रजिया (40) ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही है। डॉक्टर का कहना है खून चढ़ाना पड़ेगा, इसके लिए सीटी स्कैन जरूरी है। ये दोनों ही आयुष्मान में शामिल नहीं है। रजिया का आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह निजी अस्पताल जा सके।
केस 2- खुद करवानी पड़ेगी जांच
अरविंद को ब्लड कैंसर, उन्हें बोनमैरो ट्रांसप्लांट कराना है। इससे पहले होने वाली जरूरी एचएलए जांच आयुष्मान में शामिल नहीं है। पहले गैस राहत विभाग इसके पैसे देता था, लेकिन 35 हजार की जांच अब मरीज को कराना पड़ेगी।
दो लाख उधार लेकर कराई कीमोथैरेपी
-शगुफ्ता को मुंह का कैंसर है। दो लाख उधार लेकर विभाग ने निकाला था यह आदेश कीमोथैरेपी कराई। दो महीने बाद 50 हजार रुपए स्वीकृत हुए तो जवाहर लाल नेहरू कैंसर अस्पताल ने कहा जो कीमोथैरेपी हमने दी वो आयुष्मान में शामिल नहीं, ऐसे में पैसे देने होंगे।
-मुंह के कैंसर से जूझ रहे सौरभ सिन्हा का ऑपरेशन हो गया, लेकिन पोस्ट ऑपरेटिव केयर आयुष्मान में शामिल नहीं है। ऐसे में रोज की दवाओं के लिए परिवार चिंतित है। दवाएं नहीं मिली तो बीमारी फिर बढ़ जाएगी।
विभाग का दावा : मरीजों को दोहरा फायदा
गैस राहत विभाग के डायरेक्टर केके दुबे के मुताबिक इस योजना से मरीजों को दोहरा फायदा होगा। हम मरीज के पांच लाख तक का उपचार आयुष्मान योजना के तहत कराएंगे। वहीं इसके बाद भी इलाज की जरूरत हुई तो हमारे विभाग द्वारा फंड दिया जाएगा। ऐसे में एक परिवार के लिए पांच लाख आयुष्मान से मिल जाएगा तो हमारे पास मरीज के लिए अतिरिक्त बजट बच जाएगा।