भोपाल

MP में कुपोषण: पूर्व मुख्यमंत्री गौर ने फिर उठाया मुद्दा अब विधानसभा में घेरेंगे सरकार

अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करने की तैयारी में पूर्व मुख्यमंत्री,कुपोषण के मुद्दे पर हुए हमलावर।

भोपालOct 09, 2017 / 02:53 pm

दीपेश तिवारी

भोपाल| अक्सर अपनी ही सरकार पर निशाना साधने वाले पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने पेट्रोल के दामों को लेकर अपनी ही सरकार को घेरने के बाद एक बार फिर सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं| इस बार गौर ने कुपोषण के मुद्दे पर शिवराज सरकार को कटघरे में खड़ा करने का मन बनाया है| पिछले विधानसभा सत्र् में भी बाबूलाल गौर ने कुपोषण का मुद्दा उठाया था, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई न होने और स्थिति में सुधर न होने से गौर फिर विधानसभा में कुपोषण के मुद्दे पर सरकार को घेरेंगे|
मध्यप्रदेश में कुपोषण के मामले को लेकर सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने कहा कि मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा कुपोषण है। जिसके चलते हर साल हजारों बच्चों की मौत हो जाती है। गौर ने कहा पिछली विधानसभा सत्र् में कुपोषण के मुद्दों को लेकर प्रश्न रखा था मगर उस पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
जिसके बाद आने वाले विधानसभा सत्र् में फिर कुपोषण के मुद्दे को लेकर प्रश्न रखूंगा। ग्वालियर, शिवपुर, दतिया क्षेत्र में कुपोषण से हजारों बच्चों की मौत होती हैं। साथ ही आंगनबाड़ी में मिलने वाला भोजन खराब होता है जिसके कारण माता और बच्चे कमजोर होते हैं। गौर ने कहा कई बार महिला बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस को कार्यवाही करने की बात की मगर अभी तक किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई। जिसके कारण आने वाले विधानसभा सत्र् में कुपोषण के मुदृों को लेकर प्रश्न रखूंगा।
श्योपुर में कुपोषण से बच्चों की मौत पर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने पहले भी सरकार को विधानसभा में घेरा था। यहां प्रश्नकाल में उन्होंने कहा था कि स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़े अलग-अलग हैं। श्योपुर में बच्चों की कुपोषण से मौत की फिर से जांच की जाएं, जिसमें मैं भी शामिल होना चाहता हूं।
इसके बाद फिर गौर ने दुबारा विधानसभा में सरकार को घेरा था, जहां गौर के सवाल पर महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनिस ने स्वीकारा था कि उन्होंने गौर को साथ लेकर जाने का वादा किया था, लेकिन लिखित जवाब में कहा कि मंत्री ने निरीक्षण कर लिया है। अब एक बार फिर बाबूलाल गौर कुपोषण के मुद्दे पर अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करेंगे|
अभी कुछ दिन पहले ही गौर पेट्रोल के दामों को लेकर भी मुखर हो चुके हैं। उन्होंने पेट्रोल और डीजल की दरों को कम करने के लिए वित्तमंत्री जयंत मलैया को पत्र भी लिखा।
उनका कहना था, वेट कम कर दिया जाए तो पेट्रोल-डीजल सस्ता होगा और आमजन को राहत मिलेगी। गौर के मुताबिक उन्होंने यह पत्र रिमांइडर के तौर पर लिखा है। इस संबंध में पहले भी वे पत्र लिख चुके हैं।
वित्तमंत्री मलैया को संबोधित पत्र में गौर ने लिखा कि पेट्रोल, डीजल को जीएसटी से दूर रखा गया है, इन पर पहले की तरह वैट लागू है। जीएसटी की दरें पूरे देश में एक समान हैं, लेकिन वैट का निर्धारण राज्य सरकारों के हाथ में है।
गौर ने पड़ोसी राज्यों में वैट की दरें कम होने का संदर्भ देते हुए कहा है कि यूपी में डीजल की बिक्री में 9.33 और महाराष्ट्र में 6.06 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मध्यप्रदेश में 3.87 प्रतिशत की कमी आई है।
मध्यप्रदेश के पड़ोसी राज्यों के जिलों के पेट्रोल पंपों की बिक्री में कमी आई है। लोग सीमा पर स्थित अन्य राज्यों से डीजल, पेट्रोल लेना पसंद कर रहे हैं।

इससे मध्यप्रदेश यहां के पंपों में 60 फीसदी तक बिक्री में कमी आई है। पूर्व मंत्री ने पेट्रोल पंप संचालकों को होने वाले नुकसान का जिक्र करते हुए कहा है कि इसका सीधा संबंध प्रदेश की अर्थव्यवस्था से है।
देश में सबसे अधिक टैक्स MP में :
मध्यप्रदेश में फिलहाल पेट्रोल और डीजल पर देश में सबसे अधिक टैक्स लिया जा रहा है। वहीं डीजल पर 27 प्रतिशत वैट के साथ ही 1.50 रुपए एडिशनल टैक्स लिया जाता है। इसमें भी मात्र एडिशनल टैक्स से ही सरकार को प्रत्येक माह 100 करोड़ से अधिक की आय होती है।
इधर वित्तमंत्री जयंत मलैया ने कहा है कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में लाने पर मंजूरी देने या टैक्स कम करने का कोई विचार नहीं है।

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