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गायत्री जयंती 2018: इस दिन अपनाएं ये अचूक उपाय और हर समस्या का हल पाएं!

locationभोपालPublished: May 23, 2018 02:25:13 pm

गायत्री जयंती पर अपनाएं ये अचूक उपाय और हर समस्या का हल पाएं!…

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गायत्री जयंती 2018: इस दिन अपनाएं ये अचूक उपाय और हर समस्या का हल पाएं!

भोपाल। ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी को हिन्दू धर्म शास्त्र के अनुसार गायत्री जयंती मनाई जाती है। उसी के अनुसार इस वर्ष भी गायत्री जयंती gayatri jayanti 2018 मनाई जाएगी। पंडित सुनील शर्मा के अनुसार मां गायत्री को भारतीय संस्कृति की जननी कहा जाता है। हिन्दू धर्म में मां गायत्री को सम्पूर्ण वेदों की माता कहा जाता है। इस दिन पूरे देश में गायत्री जयंती का उत्स्व मनाया जाता है।
इस वर्ष गायत्री जयंती को लेकर थोड़ा भ्रम की स्थिति बनी हुई है। जहां कुछ जानकार इसे अधिकमास के चलते 23 व 24 मई को बता रहे हैं। वहीं कई का मानना है कि चुंकि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को देवी गायत्री gayatri jayanti 2018 मनाई जाती है। अत: इस बार गायत्री जयंती 25 मई 2018 को है जिसमें गायत्री जी के मंत्रों का जाप किया जाता है। गायत्री जी की उपासना तीनों कालों में कर सकते हैं।
हर वर्ष की तरह इस बार भी मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों में गायत्री जयंती के अवसर पर कई पूजन होंगे। इसे लेकर बाजारों सहित लोगों के घरों में भी तैयारियों शुरू हो गई हैंं।
ये हैं धार्मिक मान्यताएं:
धर्म ग्रंथो में वर्णित है कि मां गायत्री की उपासना करने वाले साधक की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं साथ ही साधक gayatri jayanti story को कभी किसी वस्तु की कमी नहीं होती है। गायत्री मंत्र के जाप से प्राण, प्रजा, कीर्ति, धन, पशु, आदि का प्रतिफल प्राप्त होता है।
मान्यता है कि जो मनुष्य मां गायत्री की विधि पूर्वक पूजा करता है उसके चारों ओर रक्षा कवच का निर्माण मां गायत्री स्वंय करती हैं gayatri jayanti story, जिससे विप्पति के समय रक्षा होती है। योग पद्धति में मां गायत्री मंत्र का उच्चारण किया जाता है।
माना जाता है कि गायत्री के चार चरणों की व्याख्या स्वरूप ही ब्रह्माजी ने चार मुखों gayatri jayanti story से चार वेदों का वर्णन किया। गायत्री को वेदमाता भी कहते हैं। चारों वेद, गायत्री की व्याख्या मात्र हैं। गायत्री माता को जानने वाला वेदों का ज्ञान लाभ प्राप्त करता है।
अत्यन्त ही महत्वपूर्ण शिक्षा…
गायत्री मंत्र के 24 अक्षर,24 अत्यन्त ही महत्वपूर्ण शिक्षाओं के प्रतीक हैं। वेद, शास्त्र, पुराण, स्मृति, उपनिषद् आदि में जो शिक्षाएं मनुष्य जाति को दी गई हैं, उन सबका सार इन 24 अक्षरों में मौजूद है। इन्हें अपनाकर मनुष्य प्राणी व्यक्तिगत तथा सामाजिक सुख-शान्ति को पूर्ण रूप से प्राप्त कर सकता है।
गायत्री गीता, गंगा और गौ यह भारतीय संस्कृति की चार आधारशिलायें हैं, इन सबमें गायत्री का स्थान सर्व प्रथम है। जिसने गायत्री के छिपे हुए रहस्यों को जान लिया, उसके लिए और कुछ जानना शेष नहीं रहता।
गायत्री मंत्र के 24 अक्षरों में अनेक ज्ञान-विज्ञान छिपे हुए हैं। अनेक दिव्य अस्त्र-शस्त्र, सोना आदि बहुमूल्य धातुओं का बनाना, अमूल्य औषधियां, रसायन, दिव्य यंत्र अनेक रिद्धी-सिद्धियां, श्राप, वरदान के प्रयोग, नाना प्रयोजनों के लिए नाना प्रकार के उपचार, परोक्ष विद्या, अंर्तदृष्टि, प्राण विद्या, वेधक, प्रक्रिया, शूल शाल्य, वाममार्गी तंत्र विद्या, कुण्डलिनी, चक्र, दश, महाविद्या, महामातृका, जीवन, निर्मोक्ष, रूपांतरण, अक्षात, सेवन, अदृश्य, दर्शन, शब्द परव्यूह, सूक्ष्म संभाषण आदि अनेक लुप्त प्राय: महान् विद्याओं के रहस्य बीज और संकेत गायत्री मंत्र में मौजूद हैं।
गायत्री मंत्र के जप का महत्व…
गायत्री मंत्र का जप सभी के लिए उपयोगी है किंतु विद्यार्थियों के लिए तो यह मंत्र बहुत लाभदायक है। मान्यता है कि रोजाना इस मंत्र का एक सौ आठ बार जप करने से विद्यार्थी को सभी प्रकार की विद्या प्राप्त करने में आसानी होती है।
विद्यार्थियों को पढऩे में मन नहीं लगना, याद किया हुआ भूल जाना, शीघ्रता से याद न होना आदि समस्याओं से निजात मिल जाती है। गायत्री मंत्र जाप को लेकर कई मान्यताएं हैं, जो इस प्रकार हैं…
1. दरिद्रता के नाश के लिए : यदि किसी व्यक्ति के व्यापार, नौकरी में हानि हो रही है या कार्य में सफलता नहीं मिलती, आमदनी कम है तथा व्यय अधिक है तो उन्हें गायत्री मंत्र का जप काफी फायदा पहुंचाता है।
शुक्रवार को पीले वस्त्र पहनकर हाथी पर विराजमान गायत्री माता का ध्यान कर गायत्री मंत्र के आगे और पीछे श्रीं सम्पुट लगाकर जप करने से दरिद्रता का नाश होता है। इसके साथ ही रविवार को व्रत किया जाए तो ज्यादा लाभ होता है।
gaytri jayanti 2018-02
2. संतान संबंधी परेशानियां दूर करने के लिए : किसी दंपत्ति को संतान प्राप्त करने में कठिनाई आ रही हो या संतान से दुखी हो अथवा संतान रोगग्रस्त हो तो प्रात: पति-पत्नी एक साथ सफेद वस्त्र धारण कर यौं बीज मंत्र का सम्पुट लगाकर गायत्री मंत्र का जप करें। संतान संबंधी किसी भी समस्या से शीघ्र मुक्ति मिलती है।
3. शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए : यदि कोई व्यक्ति शत्रुओं के कारण परेशानियां झेल रहा हो तो उसे प्रतिदिन या विशेषकर मंगलवार, अमावस्या अथवा रविवार को लाल वस्त्र पहनकर माता दुर्गा का ध्यान करते हुए गायत्री मंत्र के आगे एवं पीछे क्लीं बीज मंत्र का तीन बार सम्पुट लगाकार एक सौ आठ बार जाप करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। मित्रों में सद्भाव, परिवार में एकता होती है तथा न्यायालयों आदि कार्यों में भी विजय प्राप्त होती है।
4. विवाह कार्य में देरी हो रही हो : यदि किसी भी जातक के विवाह में अनावश्यक देरी हो रही हो तो सोमवार को सुबह के समय पीले वस्त्र धारण कर माता पार्वती का ध्यान करते हुए ह्रीं बीज मंत्र का सम्पुट लगाकर एक सौ आठ बार जाप करने से विवाह कार्य में आने वाली समस्त बाधाएं दूर होती हैं। यह साधना स्त्री पुरुष दोनों कर सकते हैं।
5. यदि किसी रोग के कारण परेशानियां हों : यदि किसी रोग से परेशान है और रोग से मुक्ति जल्दी चाहते हैं तो किसी भी शुभ मुहूर्त में एक कांसे के पात्र में स्वच्छ जल भरकर रख लें एवं उसके सामने लाल आसन पर बैठकर गायत्री मंत्र के साथ ऐं ह्रीं क्लीं का संपुट लगाकर गायत्री मंत्र का जप करें। जप के पश्चात जल से भरे पात्र का सेवन करने से गंभीर से गंभीर रोग का नाश होता है। यही जल किसी अन्य रोगी को पीने देने से उसके भी रोग का नाश होता हैं।
6. रोग निवारण के लिए: किसी भी शुभ मुहूर्त में दूध, दही, घी एवं शहद को मिलाकर एक हजार गायत्री मंत्रों के साथ हवन करने से चेचक, आंखों के रोग एवं पेट के रोग समाप्त हो जाते हैं। इसमें समिधाएं पीपल की होना चाहिए। गायत्री मंत्रों के साथ नारियल का बुरा एवं घी का हवन करने से शत्रुओं का नाश हो जाता है। नारियल के बुरे मे यदि शहद का प्रयोग किया जाए तो सौभाग्य में वृद्धि होती हैं।
गीता में भी है मां गायत्री का उल्लेख…
गीता में भगवान कृष्ण जी ने योगरूढ़ पद्धति में इस बात का उल्लेख किया है कि मनुष्य को गायत्री और ॐ मन्त्र का उच्चारण करना चाहिए। वेदों व पुराणों के अनुसार मां गायत्री पंचमुखी है। तात्पर्य है, यह समस्त लोक जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी तथा आकाश के पांच तत्वों से बना है।

समस्त जीव के भीतर मां गायत्री प्राण रूप में विद्यमान है। जिस कारण मां गायत्री क सभी शक्तियों का आधार रूप मानी गई है। भारतीय संस्कृति का पालन करने वाले को प्रतिदिन मां गायत्री उपासना का जाप करना चाहिए।
Pt.sunil Sharma
ऋग्देव में है ये मंत्र…
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार मां गायत्री को वेदमाता कहा गया है। सर्वप्रथम इस मंत्र और मां गायत्री देवी का वर्णन विश्वामित्र ने किया था। विश्वामित्र ने ऋग्देव में इस मंत्र को लिखा है। यह मंत्र मां गायत्री को समर्पित है जो वेदों की माता है।
इस मन्त्र से आध्यात्मिक चेतना का विकास होता है। धार्मिक ग्रंथों में इसे आध्यात्मिक चेतना का स्त्रोत भी माना गया है। मां गायत्री की महिमा चारों वेद में निहित है। ऐसी मान्यता है कि जो फल ऋग्वेद, यजुर्वेद तथा सामवेद के अध्ययन से प्राप्त होता है। गायत्री मंत्र के जाप से एक समान फल प्राप्त होता है।

गायत्री जयंती पूजन Puja vidhi of Maa gayatri:
इस दिन प्रातः काल उठे, स्नान-ध्यान से निवृत होकर मां गायत्री के निम्मित व्रत और पूजा का संकल्प लें। मां गायत्री की प्रतिमा या चित्र को स्थापित कर उनकी विधि-विधान पूर्वक पूजा gayatri jayanti puja vidhi करनी चाहिए। मां गायत्री पंचमुखी है जो मनुष्य के अंतरात्मा में निहित है।

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