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शादी के 1 साल बाद हुई पति की मौत, अब बच्चे के लिए मां बनेगी ऑफिसर

locationभोपालPublished: Sep 23, 2016 12:54:00 pm

Submitted by:

Anwar Khan

पांच प्रयासों के बाद आखिरकार, निधि ने इस साल एसएसबी क्लीयर कर लिया है। अक्टूबर में वह ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी ज्वाइन करने वाली है।

Indian Army

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भोपाल। जब पति का साथ छूटा तो पूरी दुनिया ने मुंह मोड़ लिया। लोग हौंसला देने की बजाय दया की नजरों से देखते थे लेकिन मुझे यह मंजूर नहीं था। मेरा बेटा अक्सर अपने पिता के बारे में पूछता था, मैं कुछ जवाब देती इसके पहले ही लोग उसे बेचारगी महसूस कराते थे।

उस दिन मैंने तय किया कि अपने लिए न सही लेकिन अपने बेटे के लिए उसकी मां और पिता दोनों बनकर दिखाऊंगी। कोशिशें करती रही, कई बार हारी पर हौंसला था सो आज अपने बेटे के लिए फौजी बन गई। यह प्रेरणादायी कहानी है भोपाल की निधि की। जिसने पति की मृत्यु के बाद अपने बेटे के लिए भारतीय सेना ज्वाइंन की।

ऐसा रहा सफर
सागर (मध्यप्रदेश) की रहने वाली निधि की शादी मुकेश कुमार दुबे से हुई थी। मुकेश भारतीय सेना में थे, लेकिन गंभीर बीमारी के कारण शादी के एक साल बाद ही पति की मृत्यु हो गई। उस वक्त निधि को पांच माह का गर्भ था। ससुराल वालों ने अंधविश्वास के चलते निधि को पति की मौत का दोषी बताते हुए घर से निकाल दिया।

अपने पिता के घर लौटकर निधि एक बार तो डिप्रेशन में आ गई थी, लेकिन बेटे के जन्म के बाद उन्होंने खुद को दोबारा खड़ा किया। पढ़ाई शुरू की, फिजीकल ट्रेनिंग पर ध्यान दिया। शुरुआती विफलताओं से उबरकर लगातार एसएसबी की तैयारी में जुटी रही।

हर कठिनाई का सामना किया
निधि सेना में जाने की तैयारी के लिए सुबह 4 बजे उठकर 5 किमी दौड़ती थी। दिन में स्कूल में पढ़ाया करती थी। निधि कहती हैं कि जब 4 सितंबर 2009 को बेटा सुयश का जन्म हुआ तो मैंने खुद को दोबारा खड़ा किया। उस वक्त लगा कि बेटे को पिता की कमी महसूस होगी इसलिए मैंने तय किया कि मैं उसकी मां बनकर देखभाल करूंगी और साथ में पिता की तरह अपना फर्ज भी निभाऊंगी।

इंदौर में की पढ़ाई
निधि ने बताया कि इंदौर में उसने 2013 में एचआर मैनेजमेंट में एमबीए किया। डेढ़ साल तक एक कंपनी में जॉब भी की। इसके बाद एसएसबी की तैयारी शुरू कर दी। जिस महार रेजीमेंट में पति पोस्टेड थे, वहीं ब्रिगेडियर रेड्डी और कर्नल एमपी सिंह के सहयोग से एसएसबी की क्लासेज लेनी शुरू की। परिवार को चलाने के लिए सागर के ही आर्मी स्कूल में टीचर की जॉब शुरू कर दी। यहीं पर बेटे को दाखिला दिला दिया।

दोनों जिम्मेदारियां साथ चलीं
निधि कहतीं हैं कि मैं सुबह चार बजे उठकर पांच किमी रनिंग करती थी। इसके बाद घर लौटकर बेटे को तैयार करती और फिर उसे लेकर स्कूल जाती। दोपहर तीन बजे साथ घर लौटते। पहले घर का काम निपटाती फिर शाम पांच बजे जिम जाती। छह बजे लौटकर बेटे का होमवर्क कराती। रात नौ बजे बेटे को सुलाकर खुद पढ़ाई करती।

कभी हार नहीं मानी
निधि कहती हैं कि मेरी अंग्रेजी कमजोर थी, इसके लिए सबसे ज्यादा जोर उसी पर देती थी। जून 2014 में एसएसबी के पहले अटैम्पड में लास्ट राउंड तक पहुंची। तीसरे और चौथे प्रयास में कॉन्फ्रेंस राउंड तक पहुंची, लेकिन बाहर हो गई। मई 2016 में आखिरी मौका था। इसी दौरान मेरी मुलाकात भोपाल में रिटायर्ड ब्रिगेडियर आर विनायक और उनकी पत्नी डॉ. जयलक्ष्मी से हुई। उनसे पता चला कि डिफेंस पर्सन जिनकी मृत्यु हो गई हो, उनकी पत्नी के लिए एसएसबी में वैकेंसी होती है। पांचवें प्रयास में मैंने एसएसबी क्लीयर कर लिया। फिजिकल में भी पास हो गई।
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