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कारोबारियों का कहना है कि वैश्विक बाजार में दोनों कीमती धातुओं में रही गिरावट के दबाव में चांदी 1000 रुपए लुढ़क गई। उनका कहना है कि देश में अभी बारिश का दौर चल रहा है, इस हिसाब से भी सराफा बाजार में ग्राहकी नहीं निकल रही। आगे नवरात्र पर्व से आभूषण बाजार में मांग निकलने की पूरी उम्मीद है।
लंदन एवं न्यूयॉर्क से मिली जानकारी के अनुसार, सोना हाजिर में 8.05 डॉलर लुढ़ककर 1,497.15 डॉलर प्रति औंस रह गया। गुरुवार को भी इसमें दो प्रतिशत की गिरावट रही। दिसंबर का अमेरिकी सोना वायदा 10.10 डॉलर टूटकर 1,505.10 डॉलर प्रति औंस बोली गई। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी हाजिर 0.29 डॉलर फिसलकर 17.52 डॉलर प्रति औंस पर रही। वैश्विक दबाव में चांदी में गिरावट देखी गई। चांदी वायदा 872 रुपए की गिरावट में 45,870 रुपए प्रति किलोग्राम बोली गई।
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पहली तिमाही में सरकार पर बढ़ा लोक ऋण का बोझ
इधर, सरकार पर लोक ऋण का बोझ बढ़ता जा रहा है। लोक ऋण पर जारी ताजा रिपोर्ट के मुताबिक जून 2019 को समाप्त पहली तिमाही में सरकार की कुल देनदारी बढ़कर 88.18 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई जो कि तीन महीने पहले मार्च 2019 के अंत में 84.68 लाख करोड़ रुपए पर थी। रपट के अनुसार जून 2019 के अंत तक सरकार की कुल बकाया देनदारी में लोक ऋण की हिस्सेदारी 89.4 प्रतिशत रही है।
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यह आंकड़े सार्वजनिक ऋण प्रबंधन प्रकोष्ठ (पीडीएमसी) की त्रैमासिक रपट में सामने आए हैं। रपट में कहा गया है सरकार ने जिन प्रतिभूतियों के जरिए राशि जुटाई है उनमें करीब 28.9 प्रतिशत ऐसी हैं जिनकी परिपक्वता अवधि पांच वर्ष से भी कम रह गई है। मार्च 2019 के अंत तक सरकारी प्रतिभूतियों को रखने के मामले में 40.3 प्रतिशत हिस्सेदारी वाणिज्यिक बैंकों के पास और 24.3 प्रतिशत बीमा कंपनियों के पास थी।
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चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में केंद्र सरकार ने 221000 करोड़ रुपए की प्रतिभूतियां जारी की जबकि पिछले साल इसी अवधि में 144000 करोड़ रुपए की प्रतिभूतियां जारी की गई थीं। पहली तिमाही में जारी नई प्रतिभूतियों की औसत परिपक्वता (डब्ल्यूएएम) अवधि 15.86 साल रही है जबकि पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में जारी प्रतिभूतियों की औसत परिपक्वता अवधि 14.18 साल रही थी। पहली तिमाही के दौरान सरकारी प्रतिभूतियों के प्रतिफल में नरमी का रुख देखा गया। यह घटकर औसतन 7.21 प्रतिशत रह गया जो इससे पिछली जनवरी.मार्च 2019 तिमाही में औसतन 7.47 प्रतिशत रहा था।