राजधानी में लगभग तीन हजार लोगों पर कोरोना वैक्सीन का ट्राइल किया जाना है। इस ट्राइल के लिये देश के 23 संस्थानों को चुना गया है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया और क्लीनिकल ट्रायल रजिस्ट्री ऑफ इंडिया ने इन संस्थानों में 28 हजार 5 सौ लोगों पर वैक्सीन के डोज दिये जाने की मंजूरी दी है। ट्रायल की शुरुआत हरियाणा से हो चुकी है जहां प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री को भी डोज दिया गया है।
पहले और दूसरे चरण के ट्राइल के बाद अब तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल में कोवैक्सीन के 0.5 एमएल के दो डोज दिये जाएंगे। साथ ही ध्यान रखा जाएगा कि ट्रायल के दौरान पहला डोज और दूसरे डोज के बीच 28 का अंतर हो। साथ ही सभी वॉलेंटियर को टीका लगाने के बाद हर सप्ताह तीन महीने तक ऑब्जर्वेशन में रखा जाएगा। डॉक्टर्स की एक टीम इन सभी की नियमित रुप से जांच कर डाटा तैयार करेगी।
डोज के बाद इम्युनोजैनिसिटी जांच
कोरोना वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल में टीका गलने के बाद वॉलेंटियर की इम्युनोजैनिसिटी जांच की जाएगी। इस जांच में व्यक्ति के इम्यून सिस्टम में हुए बदलावों का एनालिसिस किया जाता है। इसके बाद एंटी बॉडी टेस्ट भी किये जाएगे जिससे समय समय पर शरीर में वैक्सीनेशन के बाद एंटी बॉडी बनने के लेवल का पता चल सके।
ट्रायल में इनको नहीं किया जाएगा शामिल
कोरोना वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल में केवल वयस्क व्यक्तियों को ही शामिल किया जाना है इस ट्राइल में 18 साल से छोटे किसी किसोर या बच्चा शामिल नहीं होगा। साथ ही गर्भवती महिलाओं को भी ट्राइल से दूर रखा जाएगा। पहले और दूसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल में भी इन दोनों को बाहर रखा गया था। साथ ही यदि किसी महिला को यह डोज लगाया जाता है तो ट्रइल की शर्त के मुताबिक पहला डोज लेने के बाद अगले तीन महीने तक प्रेगनेंट नहीं हो सकेगी। इसके लिये महिला को ट्रायल प्रोजेक्ट के एग्रीमेंट में लिखित में देना होगा।
इन शहरों में होगा क्लीनिकल ट्रायल
कोरोना वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल में मध्यप्रदेश का भोपाल, गुजरात का अहमदाबाद, तमिलनाडु के कांचीपुरम और चेन्नई, ओडिशा का जाजपुर, असम का कामरूप, महाराष्ट्र के मुंबई और नागपुर, हैतेलंगाना का हैदराबाद, दिल्ली के एम्स, हरियाणा के फरीदाबाद, रोहतक, बिहार के पटना, कर्नाटक के पुडुचेरी और बेंगलुरू, आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम और गुंटूर, उत्तर प्रदेश के अलीगढ़, बंगाल के कोलकाता और गोवा शामिल हैं।
देश में कोवैक्सीन का पहले और दूसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल पूरा हो गया है। इन चरणों में 1100 लोगों को डोज दिया गया था। सीटीआरआई से भारत बायोटैक इंटरनेशनल लिमिटेड और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की कोवैक्सीन के टाइल की अनुमति दी थी। कोवैक्सीन स्वस्थ महिला या पुरुष को उसकी सहमति लेकर लगाई जाएगी। फिर उसकी मेडिकल जांच की जाएगी।