उन्होंने लिखा है कि नगर निगम परिषद के अंदर मुझ पर अपनी ही पार्टी के उस पार्षद से हमला करवाया गया जो हत्या का आरोपी था और आज 302 में जेल में बन्द है।
उस गुंडे के विरुद्ध उसी प्रदेश अध्यक्ष ने अनुशासन की कार्यवाही तक नहीं की जो 30 साल तक मेरे स्कूटर की पिछली सीट पर बैठ कर मेरे साथ पार्टी का काम करता रहा। तब भी मैं निराश नहीं हुआ जब गंगाराम बघेले जी के चुनाव में हरिशंकर पुरम में मेरे पुत्र व मेरे ऊपर कांग्रेसी प्रत्याशी ने आक्रमण कर दिया और तत्कालीन प्रभारी मंत्री जी ने मेरा फोन उठाने से इंकार कर दिया ।
तब भी मैं पार्टी में बना रहा जब मुझे सार्वजनिक रूप से अपना गुरु कहने वाले प्राधिकरण अध्यक्ष ने मुझसे ही रिश्वत की मांग कर दी। ऐसे असंख्य किस्से और हैं, किन्तु यह सब व्यक्तिगत हानियाँ और और अपमान थे जो मेरे साथ निरन्तर होते रहे, लेकिन मेरा पार्टी से मोहभंग नहीं हुआ।
किन्तु जब,,, ग्वालियर के अस्पताल में प्रसूता को प्रवेश न मिलने पर सड़क पर प्रसव होने से उसके जुड़वां बच्चे गिर कर मर गए तब मेरा धैर्य ज़वाब दे गया। भ्र्ष्टाचार की अति पर मैं निराश हो गया। अब मैं भी स्वतंत्र हूँ और पार्टी भी मुझसे मुक्त है। आत्मानुशासन के सिवाय किसी अनुशासन से बंधा नहीं हूं मैं। क्या मेरी कलम को भी छीन लेंगे आप मुझ से ।
जिस जनसंघ , जनतापार्टी और बीजेपी के लिए काम किया, संघर्ष किया या अपना जीवन होम किया आज उसे वैसा नहीं पाता हूँ। अकेला मैं नहीं , मेरे जैसे लाखों कार्यकर्ता आज निराश हैं तो किसी को तो मुंह खोलना होगा।मुंह खोलूंगा तो गालियां भी खाऊंगा। मार भी। और हो सकता है मुझे अपने जीवन से हाथ भी धोना पड़े।
उसका भी अब कोई मोह नहीं बचा है। अपना जीवन जी चुका हूं। मैंने जो किया एक विचार के लिए, एक आदर्श के लिए किया। उससे मुंह नहीं मोड़ सकता। मेरे लिए देश बड़ा है, समाज बड़ा है, विचार बड़ा है मेरी पार्टी से , नेताओं से, मेरे अपने साथियों और जान से प्यारे दोस्तों से भी। इसके लिए मैं हर परिणाम भुगतने को तैयार हूं।