तभी से उन्होंने अपनी हॉकी स्टिक को खूटे में टांग दिया था। क्योंकि सिविल सेवा की प्रतियोगिताओं में हॉकी शामिल नहीं था। ये महिलाएं अन्य खेलों में मप्र का प्रतिनिधित्व कर रहीं थी, लेकिन 2021 में महिला हॉकी को सिविल सेवा में जोड़ा गया। कोरोना के चलते टूर्नामेंट स्थगित हो गया। इससे 34 साल बाद इन महिलाओं ने फिर से हॉकी स्टिक थामी हैं और प्रतियोगिता के सेमीफाइनल में जगह बनाई।
हालांकि इन महिलाओं को देश की अन्य टीमों की खिलाडिय़ों से उम्र के लिहाज से काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इस टीम को कोच मुईनउद्दीन कुरैशी ट्रेनिंग दे रहे हैं। मप्र की टीम की खिलाडिय़ों ने पत्रिका से अपने अनुभव शेयर किए।
टूर्नामेंट के लिए स्कूल से मिली स्पेशल छुट्टी
शिक्षिका नंदा शर्मा ने बताया, मैं हॉकी की नेशनल प्लेयर रही, लेकिन नौकरी के बाद हॉकी छूट गई। टूर्नामेंट के लिए स्कूल से स्पेशल छुट्टी मिली है। 10 पहले से मैदान में डट गई थी। हिङ्क्षटग और ड्रिबलिंग की प्रैक्टिस की। डाइट और फिटनेस पर जोर दिया।
शिक्षिका नंदा शर्मा ने बताया, मैं हॉकी की नेशनल प्लेयर रही, लेकिन नौकरी के बाद हॉकी छूट गई। टूर्नामेंट के लिए स्कूल से स्पेशल छुट्टी मिली है। 10 पहले से मैदान में डट गई थी। हिङ्क्षटग और ड्रिबलिंग की प्रैक्टिस की। डाइट और फिटनेस पर जोर दिया।
फोन लगाकर बुलाई टीम, फिर की तैयारी
शिक्षिका औरकप्तान सविता सुर्वे ने बताया, मैं सिविल सेवा की प्रतियोगिताओं में एथलेटिक्स खेलती थी। दोस्तों को फोन कर बोला कि महिला हॉकी टीम भी खेल रही है। फिर सभी ने रजामंदी दी। हमनें टीम तैयार की। 5 दिन पहले इक्टठा होकर तैयारी शुरू की है।
शिक्षिका औरकप्तान सविता सुर्वे ने बताया, मैं सिविल सेवा की प्रतियोगिताओं में एथलेटिक्स खेलती थी। दोस्तों को फोन कर बोला कि महिला हॉकी टीम भी खेल रही है। फिर सभी ने रजामंदी दी। हमनें टीम तैयार की। 5 दिन पहले इक्टठा होकर तैयारी शुरू की है।
टीम की सभी मेंबर्स पुरानी दोस्त
बरखेड़ी के सीएम राइज स्कूल में पदस्थ लुसी अलफांसो ने बताया कि मैंने पहली बार एक्स्ट्रो टर्फ में हॉकी खेली है। टीम मेंबर्स की सोच यही थी कि भले ही दौड़ न पाएं लेकिन हिङ्क्षटग और ड्रिबलिंग तो कर ही लेंगे। मुझे डायबटीज और शूगर दोनों है लेकिन खेल में पीछे नहीं हटी।
बरखेड़ी के सीएम राइज स्कूल में पदस्थ लुसी अलफांसो ने बताया कि मैंने पहली बार एक्स्ट्रो टर्फ में हॉकी खेली है। टीम मेंबर्स की सोच यही थी कि भले ही दौड़ न पाएं लेकिन हिङ्क्षटग और ड्रिबलिंग तो कर ही लेंगे। मुझे डायबटीज और शूगर दोनों है लेकिन खेल में पीछे नहीं हटी।
प्रदेश के लिए दोबारा हॉकी खेलना बड़ी बात
वन विभाग में लेखापाल सरिता श्रीवास्तव ने बताया कि हमारी टीम के सभी सदस्य 1987 में पोस्टेड हुए थे। नौकरी में आने के बाद हॉकी से नाता छूट गया था, लेकिन मैं वन विभाग की प्रतिभाओं में एथलेटिक्स खेलती रही। 34 साल बाद प्रदेश के लिए दोबारा हॉकी खेलना हमारी लिए बड़ी बात है। हमारी यह सोच थी कि भोपाल सिविल सेवा की मेजबानी कर रहा है। इसलिए महिला हॉकी टीम उतरना जरूरी था। जिससे मप्र का पार्टिसिपेसन भी रहे। इसलिए टीम तैयारी की और मैदान में उतरे। मैं टीम में लेफ्ट हाफ में अपनी भूमिका निभाती हूं।
वन विभाग में लेखापाल सरिता श्रीवास्तव ने बताया कि हमारी टीम के सभी सदस्य 1987 में पोस्टेड हुए थे। नौकरी में आने के बाद हॉकी से नाता छूट गया था, लेकिन मैं वन विभाग की प्रतिभाओं में एथलेटिक्स खेलती रही। 34 साल बाद प्रदेश के लिए दोबारा हॉकी खेलना हमारी लिए बड़ी बात है। हमारी यह सोच थी कि भोपाल सिविल सेवा की मेजबानी कर रहा है। इसलिए महिला हॉकी टीम उतरना जरूरी था। जिससे मप्र का पार्टिसिपेसन भी रहे। इसलिए टीम तैयारी की और मैदान में उतरे। मैं टीम में लेफ्ट हाफ में अपनी भूमिका निभाती हूं।