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बीच नदी में मिलने आए थे प्रेमी जोड़े, दोनों तरफ से हुआ पथराव, मारे गए 12 लोग, हजारों हुए घायल

locationभोपालPublished: Aug 22, 2017 01:18:00 pm

Submitted by:

mantosh singh

मध्यप्रदेश में कई परंपराएं आज भी अपने मूल स्वरूप में हैं। ऐसा ही एक मेला छिंदवाडा जिले के पांढुर्ना में खेला जाता है, जिसे गोटमार कहते हैं।

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छिंदवाड़ा/पांढुर्ना. मध्यप्रदेश में कई परंपराएं आज भी अपने मूल स्वरूप में हैं। ऐसा ही एक मेला छिंदवाडा जिले के पांढुर्ना में खेला जाता है, जिसे गोटमार कहते हैं। गोटमार मेले में खिलाड़ी नदी के बीच में गाड़े गए झंडे को बचाने और गिराने की जद्दोजहद में एक-दूसरे पर पथराव करते हैं।
300 सालों से चली आ रही इस परंपरा का खूनी खेल शुक्रवार को दिनभर चला। इस दौरान 585 से भी ज्यादा लोग घायल हो गए। कई लोगों को इनमें गंभीर चोटें भी आई। 2 लोगों को गंभीर स्थिति में नागपुर भी रेफर किया गया है। सुबह 10.30 बजे से खिलाडियों ने गोटमार मेले में दूसरे खिलाडियों पर पत्थर बरसाना शुरू कर दिया था। इस खूनी में नुकसान कम हो इसलिए प्रशासन ने नदी से बड़े पत्थर पहले ही हटवा लिए थे।
क्यों होता है गोटमार
गोटमार मेले का इतिहास 300 साल पुराना बताया जाता है। जाम नदी के दोनों ओर के लोगों के बीच खेले जाने वाले इस खूनी खेल के पीछे एक प्रेम कहानी जुडी हुई है। पांढुर्ना का एक लड़का नदी के दूसरे छोर पर बसे गांव की एक लड़की से प्यार करता था। उनकी इस प्रेमकहानी पर दोनों गांवों के लोगों को एतराज था।
एक दिन सभी के विरोध को झेलते हुए लड़का लड़की को गांव से भागकर लौट रहा था। अभी दोनों ने आधी नदी तक का ही सफर किया था कि दोनों ओर के ग्रामीणों को इसकी सूचना मिल गई और प्रेमीजोड़े पर दोनों तरफ से पत्थरों की बरसात होने लगी। इस पथराव में दोनों की मौत नदी के मझधार में हो गई।
अब तक 12 लोगों की हुई मौत
आज भी प्रतीक स्वरूप एक झंडा नदी के बीच में गाड़ा जाता है और दोनों ओर के खिलाड़ी झंडे को गिराने और टिकाए रखने (एक ओर के खिलाड़ी झंडे को गिराने का प्रयत्न करते हैं और दूसरी ओर के खिलाड़ी इसे गिरने से बचाते हैं।) के लिए संघर्ष करते हैं। इस दौरान एक-दूसरे पर पत्थरों से हमला किया जाता है। मेले के ज्ञात इतिहास में अब तक 12 लोगों की मौत दर्ज की गई है।
गोफन पर है प्रतिबंध
मेले के एक दिन पूर्व निरीक्षण के बाद एक अधिकारी ने बताया कि गोटमार मेले में गोफन (रस्सी से पत्थर बांधकर फेंकना) पर इस बार भी प्रतिबंध लगाया गया है। कोई इस्तेमाल करते पाया गया तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। मेला स्थल पर दस मजिस्ट्रेट और 750 की संख्या में पुलिस बल तैनात किया जाता है। गोटमार में घायल होने वालों के लिए भी चिकित्सा इंतजाम किए गए हैं।
ये हुए इंतजाम
– नदी में खिलाडि़यों की स्थिति पर नजर रखने के लिए तैराक तैनात हैं।
– पुलिस, राजस्व और आबकारी विभाग की टीम अवैध शराब पर रोक लगा रहीं हैं।
-स्कूलों में वाद-विवाद समेत अन्य प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया हैं।
– पीडब्ल्यूडी के कर्मचारी जगह-जगह ड्रापगेट बनाए हुए हैं ।
– फयर बिग्रेड, सफाई,पेयजल और प्र्रकाश का इंतजाम नगरपालिका द्वारा किया गया हैं।
अब तक मेले में पथराव के दौरान हुई है 12 की मौत
वर्ष नाम निवासी
1955 – महादेवराव सांबारे – सांवरगांव पेठ
1978 – देवराव सकरडे – ब्राम्हनी
1979 – लक्ष्मण तायवाड़े – शुक्रवार बाजार
1987 – कोठिराम सांबारे – जाटबा वार्ड
1989 – विठ्ठल तायवाड़े – गुरुदेवा वार्ड
1989 – योगीराज चौरे – सांवरगांव पेठ
वर्ष – नाम – निवासी
1989 – सुधाकर हापसे – पांढुर्ना
1989 – गोपाल चन्ने – पांढुर्ना
2004 – रवि गायकी – पांढुर्ना
2005 – जनार्दन सांबारे – पांढुर्ना
2008 – गजानन घुगुस्कर – पांढुना
2011 – देवानंद वघाले – पांढुर्ना
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