प्रदेश के विश्वविद्यालय खर्चों के लिए सरकार से अनुदान तो ले रहे हैं, फीस से भी आय हो रही है, लेकिन ज्यादातर विश्वविद्यालय समय पर ऑडिट नहीं करा रहे हैं। कुछ विश्वविद्यालय तो ऐसे हैं जिन्होंने दस-दस तक ऑडिट नहीं कराया। कुछ विश्वविद्यालय तो ऐसे भी हैं जिन्होंने मोटी रकम एकत्रित कर उसकी बैंक में एफडी करवा ली, इस पर इनकम टेक्स ने नोटिस भेज दिया। राज्यपाल की नाराजगी इसी बात को लेकर रही। वे इसके पहले भी आगाह कर चुके हैं कि विश्वविद्यालय बैंक नहीं है, जिससे वे राशि जमा करें। उन्हें राशि को शैक्षणिक कार्य में खर्च करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि विश्वविद्यालय का शैक्षणिक वातावरण अच्छा नहीं होगा, पदाधिकारियों के संस्कार उत्कृष्ट नहीं होंगे तो पूरा वातावरण प्रदूषित हो जाएगा। यह देश और समाज के लिए हानिकारक होगा। इसलिए परिसर का माहौल बेहतर रखना कुलपतियों की जिम्मेदारी है।
ग्रीन और क्लीन कै म्पस पर फोकस राज्यपाल ने बैठक के दौरान ग्रीन और क्लीन कैम्पस पर जोर देते हुए कहा कि परिसर में व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण किया जाए। भविष्य के उपयोग के लिए आरक्षित भूमि पर व्यवसायिक उपयोग वाले वृक्षों के पौधों का रोपण करना चाहिए। यह भविष्य की वित्तीय आवश्यकताओं के लिए निवेश होगा। सोलर उर्जा के उपयोग से विद्युत व्यय में कटौती से बचत भी मिलेगी। जल संरक्षण के कार्य जल संकट की वैश्विक समस्या समाधान का मार्ग दिखाएगी। इसी तरह परिसर के कचरे से जैव खाद का निर्माण पौधों के लिए खाद का काम करेगा। बिना व्यय के विश्वविद्यालय की भविष्य की जरूरतों की पूर्ति के पर्याप्त धनराशि भी उपलब्ध हो जाएगी।
नए वर्ष में फिर होगी समीक्षा राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों को आगाह किया है कि नए वर्ष में समीक्षा का एकमात्र मानदंड, निर्णय और उनका पालन होगा। विश्वविद्यालयों की समस्याओं आवश्यकताओं का समाधान किया गया है। इस पर भी परिणाम नहीं मिलने के लिए कौन जिम्मेदार होगा। अब यदि परीक्षा परिणाम में विलंब हो रहा है तो संबंधित के विरूद्ध कार्रवाई कर परिणाम समय पर घोषित करवाना कुलपति का दायित्व होगा। ऐसा नहीं होने पर कुलपति जिम्मेदार होंगे। इस अवसर पर उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव हरि रंजनराव, राज्यपाल के सचिव मनोहर दुबे, महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, महाराजा छत्रसाल बुन्देलखंड विश्वविद्यालय, पंडित एसएन शुक्ला विश्वविद्यालय और भोज मुक्त विश्वविद्यालयों के कुलपति मौजूद थे।