इसके लिए रहवासी समितियों को हाउसिंग बोर्ड में कॉलोनी, अपार्टमेंट के विकास के संबंध में आवेदन के साथ सहमति पत्र देना होगा। इसके बाद बोर्ड फिजिबिल्टी सर्वे में देखेगा कि अपार्टमेंट को कितना बढ़ाया जा सकता है। अगर जगह है तो 20 से 50 फीसदी तक बढ़ाया जा सकेगा। भवन यदि तीन मंजिला है तो दस मंजिला तक बढ़ाया जा सकेगा। इसमें से हाउसिंग बोर्ड तीन मंजिला रहवासियों को नि:शुल्क देगा। बाकी के 7 मंजिल को बेचकर सरकार का खजाना भरने की व्यवस्था की जाएगी। जिन क्षेत्रों में भवनों में स्पेस बढ़ाने या एफएआर बढ़ाने की गुंजाइश नहीं होगी, वहां निर्माण लागत का कुछ हिस्सा रहवासियों को देना होगा।
कराना होगा समिति का रजिस्ट्रेशन
जिन आपार्टमेंट्स में समिति नहीं है, वहां रहवासियों को पहले समिति बनानी होगी। सहकारी संस्था में पंजीयन कराना होगा। इसके बाद कॉलोनी या अपार्टमेंट विकास के लिए आवेदन स्वीकार होगा। योजना के लिए सहमति देने के बाद प्रस्ताव वापस नहीं होगा। किसी तरह की व्यक्तिगत जरूरतों के अनुसार अपार्टमेंट में निर्माण कार्य नहीं किया जाएगा। निर्माण के ले-आउट और स्कीम की जानकारी समिति को पहले दी जाएगी।
10 हजार अपार्टमेंट पुराने
प्रदेश में हाउसिंग बोर्ड, विकास प्राधिकरण और बिल्डर्स द्वारा निर्मित दस हजार से ज्यादा आपार्टमेंट हैं। ये 30 वर्ष से ज्यादा पुराने हैं। कई भवन जर्जर हैं। हाउसिंग बोर्ड भवनों की मैपिंग करेगा। जो भवन बोर्ड के हैं, उन्हें इस स्कीम में पहले शामिल किया जाएगा।