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नया शिक्षा सत्र शुरु हो गया है लेकिन सरकार यह तय नहीं कर पा रही कि आखिर लड़कियों को स्कूटी खरीदने के लिए ब्याज दर में कितनी सब्सिडी दी जाए। उच्च शिक्षा विभाग इस वचन को पूरा करने की उधेड़बुन में लगा है। सामान्य तौर पर यदि चार से पांच फीसदी की ब्याज में रियायत दी जाती है तो सरकार पर 200 से 250 करोड़ से ज्यादा का अतिरिक्त भार पड़ेगा।
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यानी ये पैसा कंपनी को सरकार भरेगी। उच्च शिक्षा विभाग इस बात पर विचार कर रहा है कि आखिर कितनी सब्सिडी दी जाए जिससे फंड की कमी भी न हो और वचन भी पूरा हो जाए। इसके लिए विभाग ने समिति बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है जो रियायती ब्याज दर तय करेगी। अंतरविभागीय समिति के प्रस्ताव को मंजूरी के लिए मुख्य सचिव के पास भेजा गया है।
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ये है अनुमानित वित्तीय भार :
उच्च शिक्षा विभाग ने जो अनुमान लगाया है उसके हिसाब से एक प्रतिशत की ब्याज सब्सिडी देने पर 1500 रुपए प्रति छात्रा का अतिरिक्त भार आएगा। प्रदेश में जो छात्राएं पढ़ रही हैं उनकी संख्या 3.5 लाख है। एक फीसदी की ब्याज सब्सिडी पर 1500 रुपए प्रति छात्रा के हिसाब से साढ़े तीन लाख छात्राओं के लिए अनुमानित वित्तीय भार 52.5 करोड़ रुपए आएगा। सरकार यदि चार फीसदी सब्सिडी देगी तो 200 करोड़ और पांच फीसदी सब्सिडी पर 250 करोड़ से ज्यादा का अतिरिक्त बोझ सरकार के कंधों पर पड़ेगा।
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मुफ्त पढ़ाई कराने में लगेंगे 60 करोड़ :
कांग्रेस ने उच्चशिक्षा विभाग से जुड़ा एक और वचन दिया था। इसमें स्कूल शिक्षा और उच्च शिक्षा दोनों विभाग शामिल हैं। इस वचन के मुताबिक देवी अहिल्याबाई होल्कर निशुल्क शिक्षा योजना में लड़कियों को स्कूल से लेकर कॉलेज तक मुफ्त शिक्षा दी जाएगी। हालांकि इसमें सरकारी स्कूल और कॉलेज ही शामिल किए गए हैं। सरकार ने इसकी भी डीपीआर तैयार कर ली है। इसमें 60 करोड़ सालाना का संभावित व्यय दिखाया गया है। प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है जल्द ही इसे कैबिनेट में प्रशासकीय मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
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इतना है उच्च शिक्षा विभाग का बजट :
साल 2019-20 के लिए उच्च शिक्षा विभाग का बजट 2343 करोड़ रुपए है। पिछले शिक्षा सत्र में ये बजट 2097 करोड़ था जिसमें इस साल नई सरकार ने 12 फीसदी का इजाफा किया है। इस बजट में सरकार को स्थापना व्यय करने के साथ ही छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है, कॉलेजों में 60 फीसदी पद खाली पड़े हैं उन पर भर्ती करना है, कॉलेजों में भवन निर्माण,लैब और उपकरणों की व्यवस्था करना है और चुनाव के पहले दिए गए वचनों को भी पूरा करना है।