scriptकृषि और नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के बीच खींच-तान | Government could not give the market even after one and a half years | Patrika News

कृषि और नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के बीच खींच-तान

locationभोपालPublished: May 23, 2018 09:09:19 am

Submitted by:

Ashok gautam

किसानों को डेढ़ साल बाद भी बजार नहीं दे पाई सरकार

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भोपाल। मंदसौर गोलीकांड के बाद किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम मिले, फसल, फल, सब्जी के दाम किसान खुद तय करें, इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नगरीय निकायों में किसान बजार बनाने की घोषणा की थी। इस दौरान नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने यह बजार बानने के लिए कहा था, लेकिन अब बजार बनाने और उसके संचालन से पीछे हट रहा है।

किसान बजार को लेकर कृषि और नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग आमने-सामने आ गए हैं। किसान बजार बनाने से दोनों ही विभाग पिछले एक साल से अपने हाथ पीछे खींच रहे हैं। भोपाल, इंदौर सहित प्रदेश के दो दर्जन नगरीय निकायों में किसान बजार बनाने और उसके रख-रखाव में करोड़ों रूपए खर्च करना पड़ेगा, बजट कहां से आएगा।

किसान बजार बनाने के मामले में सरकार गंभीर भी नहीं है। इस संबंध में फाइल डेढ साल से मंत्रालय, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग तथा कृषि विभाग, जिला प्रशासन और नगर निगम के बीच घूम रही है। हालत यह है कि भोपाल, इंदौर जैसे जिलों में कलेक्टर और नगर निगम शहर के अंदर किसान बजार बनाने के लिए जगह ही तय नहीं कर पाए हैं। इधर नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग तथा कृषि विभाग के बीच इस बात की खींच तान चल रही है कि बजार कौन बनाएगा, उसे संचालित कौन करेगा और उसके रख रखाव की जिम्मेदारी किसकी होगी।

कृषि विभाग के अधिकारी करोंद मंडी के अलावा दूसरा बजार नहीं बनाना चाहते हैं, जबकि नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के अधिकारियों का मानना है कि किसान बजार बनाने का काम कृषि विभाग का है और मंडी बोर्ड को इसे संचालन का अनुभव है। वहीं बजार बनाने के लिए शहर के अंदर कहीं भी एक हेक्टेयर शासकीय जमीन नहीं मिल रही है। शासकीय जमीन शहर के बाहर मिल रही है। वहीं हालत यह है कि भोपाल, इंदौर जैसे जिलों में कलेक्टर और नगर निगम शहर के अंदर किसान बजार बनाने के लिए जगह ही तय नहीं कर पाए हैं।

क्या होगा आम लोगों को लाभ
किसान बाजार बनने से शहर के लोगों को ताजी फल, सब्जी दस्ते उचित दामों में मिल सकेगा। किसान अपने फल सब्जी का रेट खुद तय कर सकेंगे, इसमें बीच का कोई भी आदमी नहीं रहेगी। उन्हें बाजार में न तो को शुल्क देना पड़ेगा और न हीं उन्हें सकरार को टैक्स देना पड़ेगा, इससे लोगों फल और सब्जी सस्ते दामों में मिल सकेगा। बाजार सातों दिन खुला रहेगा, किसान खेतों से सब्जी लाकर यहां कभी भी बेंच सकेंगे। किसानों को यहां सब्सिडी दर पर कोल्ट स्टोरेज और फल सब्जी रखने के लिए सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी।

खत्म होगी अड़तियों की भूमिका
किसान बजार बनने से फल तथा सब्जी की बिक्री पर अड़तियों की भूमिका इन मंडियों से समाप्त हो जाएगा। अगर कोई किसान अपना माल व्यापारी को थोक अथव फुटकर में अपने रेट पर बेंचता है तो बेंच सकेगा। फेलिटेशन सेंटर में उन्हें प्रदेश के विभिन्न मंडियों के भावों की जानकारी दी जाएगी, जिसके अनुसार वह अपने फल, सब्जी अथावा अन्य उत्पादों की रेट तय करें।
यह मुख्यमंत्री को घाषणा है, पालन होना है। बजार कौन बनाएगा और कौन देख-रेख करेगा इसकी जानकारी मुझे नहीं है।
गुलशन बामरा, आयुक्त नगरीय प्रशान एवं विकास विभाग

किसान बजार बनाने और उसके संचालन का काम नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग का है। इससे कृषि विभाग और मंडी से कोई लेना देना नहीं है
राजेश राजौरा एससीएस कृषि विभाग
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने पूरे कार्यकाल में साढ़े 6 हजार से अधिक घोषणाएं की हैं। उन्हीं के पार्टी के एक सांसद ने उन्हें घोषणा बीर की पदवी दी थी। वे घोषणाओं में माहिए हैं, इसलिए उनकी घोषणाओं को कोई गंभीरता से नहीं लेता है।
शिव कुमार शर्मा (कक्काजी)
अध्यक्ष
राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ

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