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सरकार ने चौबीस घंटे में वापस लिए एक अप्रैल से गेहूं खरीदी का निर्णय

locationभोपालPublished: Mar 31, 2020 07:46:38 pm

Submitted by:

Ashok gautam

– कल से गेहूं खरीदी का एसएमएस मिलने पर भोपाल, इंदौर, नर्मदापुरम और उज्जैन संभाग के किसान हलाकान में- खाद्य विभाग ने सात सौ किसानों को खरीदी निरस्त करने का देर रात को भेजा एमएसमएस

सरकार ने चौबीस घंटे में वापस लिए एक अप्रैल से गेहूं खरीदी का निर्णय

सरकार ने चौबीस घंटे में वापस लिए एक अप्रैल से गेहूं खरीदी का निर्णय

भोपाल। कलेक्टरों और जन प्रतिनिधियों के विरोध के बाद सरकार को चौबीस घंटे के अंदर एक अप्रैल से गेहूं खरीदी के निर्णय को वापस लेना पड़ा। गेहूं की खरीदी कब से शुरू की जाएगी इस पर निर्णय प्रदेश में कोरोना वायरस के संक्रमण की स्थिति सामान्य होने के बाद ही लिया जाएगा।
खाद्य विभाग के एक तारीख से खरीदी करने के फैसले को लेकर किसान भी हलाकान में हैं। सबसे ज्यादा उन 700 किसानों को हैरानी हो रही है जिनके पास सोमवार की शाम को गेहूं खरीदी का मैसेज पहुंच गया है। हालांकि खाद्य विभाग ने इन किसानों के मोबाइल पर 31 मार्च की देर रात तक गेहूं खरीदी के निर्णय को निरस्त करने का एमएमएस भेज दिया है।
खाद्य विभाग के इस हठधर्मिता का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ सकता है। इसकी मुख्य वजह यह है कि भोपाल, नर्मदापुरम, इंदौर और उज्जैन संभाग के किसानों ने समर्थन मूल्य पर एक अप्रैल को खरीदी केन्द्रों पर गेहूं बेचने के लिए खेतों और खलिहानों से अनाज ट्रैक्टर ट्राली में भर लिया है। खाद्य विभाग द्वारा मंगलवार को अनाज खरीदी निरस्त करने का एमएमएस अगर किसान नहीं पढ़ेंगे तो वे खरीदी केन्द्रों पर अनाज लेकर पहुंच जाएंगे। इससे ये किसान और मुश्किल में आ जाएंगे।
क्योंकि खरीदी केन्द्र बंद होने के कारण उन्हें अनाज लेकर वापस जाना पड़ेगा। वहीं दूसरी तरफ कोरोना संक्रमण के लॉकडाउन चलते किसानों को आने-जाने पर जगह-जगह पुलिस से भी हुज्जत करना पड़ेगी।

बताया जाता है दो दिन पहले जब गेहूं खरीदी को लेकर वीडीओ कांन्फ्रेसिंग इुई थी तो कलेक्टरों ने एक अप्रैल से गेहूं खरीदी पर असर्मथता जाहिर की थी। इसके पीछे उनका तर्क था कि समितियों के पास न तो बारदाना सिलाई के लिए धागे की व्यवस्था है और न ही बारदानों में समितियों के स्टीकर बनाने तथा उसे लगाने के लिए कोई तैयार हो रहा है। इसके साथ ही लेबरों की समस्या सबसे बड़ी है, क्योंकि दस दिन पहले ही लेबर जिलों से पलायन कर चुके हैं। समितियों ने इसका विरोध सहकारिता विभाग के समक्ष जताया था। समितियों का तर्क था कि एक खरीदी केन्द्र पर कम से कम 50 मजदूर, कंम्प्यूटर आपरेटर और कर्मचारियों की जरूरत होती है। इसकी तादात में अनाज बेचने के लिए किसान और उनका सहयोग करने भी मजदूर आएंगे। ऐसी स्थिति में खरीदी केन्द्रों पर लोगों की संख्या सौ से दो सौ के पार हो जाएगी, समितियों के लिए भीड़ संभालना मुश्किल हो जाएगा।

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