scriptसरकार का फोकस कोरियाई शिक्षण मॉडल पर , टेस्ट की तैयारी में जुटा शिक्षा विभाग | Government focus on korea teaching model | Patrika News

सरकार का फोकस कोरियाई शिक्षण मॉडल पर , टेस्ट की तैयारी में जुटा शिक्षा विभाग

locationभोपालPublished: Jun 15, 2019 08:43:51 am

Submitted by:

Amit Mishra

इंटरनेशनल पीसा टेस्ट की तैयारी में जुटा मध्यप्रदेश

gao

डोंगरगांव में शासकीय अंग्रेजी माध्यम शाला का हुआ उन्नयन

भोपाल. मध्यप्रदेश ने इंटरनेशनल प्रोग्राम फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट (पीसा) टेस्ट में शिरकत करने के लिए शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। कोरिया से स्टडी करके लौटी स्कूल शिक्षा विभाग की टीम शिक्षण और कम्प्यूनिकेशन सेक्टर के अपग्रेडेशन के लिए काम कर रही है। यह इंटरनेशनल टेस्ट 2021 में होना है। इसमें भारत से केरल और चंडीगढ़ शिरकत करेंगे। इस टेस्ट के पैमाने पर अभी ये दोनों राजय ही खरे उतर रहे हैं।

शिक्षकों की टीम कोरिया जाकर स्टडी करके आई है

अब मध्यप्रदेश ने 2024 की इंटरनेशनल पीसा टेस्ट के लिए तैयारी करना शुरू किया है। अभी पर्याप्त समय है, इसलिए प्रदेश का स्कूल शिक्षा विभाग शिक्षण को लेकर सबसे जयादा फोकस कर रहा है, ताकि इस टेस्ट को पास कर सके। इसमें अब तक कोरिया ही जीतता आया है।

कोरिया में केरीकुलम के आधार पर पढ़ाई कराई जाती है, इसलिए मध्यप्रदेश की 30 अफसरों व शिक्षकों की टीम कोरिया जाकर स्टडी करके आई है। इसमें लोक शिक्षण आयुक्त जयश्री कियावत, उपसचिव अनुभा श्रीवास्तव व गौतम सिंह सहित 10 प्राचार्य शामिल थे। इस टीम ने अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी है। इस रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता के लिए काम होगा।

 

news 4

शिक्षा की गुणवत्ता
शिक्षा की गुणवत्ता के लिए दसवीं से बारहवीं कक्षाओं को लेकर रचनात्मक अध्यापन पर सबसे ज्यादा काम किया जाएगा। जिन विषयों में विद्यार्थियों को ज्यादा परेशानी होती है, उनके लिए अलग से कार्ययोजना बनेगी। रेमेडियल कक्षाओं को भी रिफार्म करेंगे।


शिक्षकों की परीक्षा, फेल पर गिरेगी गाज
शिक्षा विभाग ने गुणवत्ता सुधार के तहत ही शिक्षकों की परीक्षा ली है। इसमें करीब 3500 ऐसे शिक्षक ने भाग लिया जिनके स्कूलों का बोर्ड परीक्षा परिणाम 30 फीसदी से कम रहा। यह परीक्षा भोपाल सहित सिंगरौली, रीवा, ग्वालियर, सीधी, मुरैना, शिवपुरी और भिंड में रखी गई। खास ये कि इसमें इन्हें किताब देखकर जवाब देना है। इससे पहले 2006 में जब बोर्ड परीक्षा का परिणाम बिगड़ा था, तब शिक्षकों की परीक्षा की गई थी, लेकिन तब परिणाम इतने खराब आए थे कि परिणाम सार्वजनिक ही नहीं किए गए।


तीन स्तरों पर होगा काम

पहले स्तर पर पीईआर लर्निंग यानी संवाद आधारित शिक्षण पर फोकस रहेगा। इसमें शिक्षक व छात्र के बीच दोतरफा कम्यूनिकेशन होता है। इस पैटर्न पर शिक्षण के नए तरीके खोजकर काम होगा।


दूसरे स्तर पर कम्प्यूटर लर्निंग व शिक्षण संसाधनों को आधार बनाया जाएगा। इनके सिस्टम को अपग्रेड करने के साथ फंक्शनिंग पर काम होगा।

तीसरे स्तर पर शिक्षक भर्ती व मेनपॉवर पर काम होगा। जरूरत के मुताबिक उत्कृष्ट शिक्षकों की भर्ती की जाएगी।

 

ऐसा है कोरियाई मॉडल
दक्षिण कोरिया में बच्चे 12वीं के बाद रोजगार पा जाते हैं। मध्यप्रदेश के दल ने वहां के दो सरकारी स्कूलों, एक विश्वविद्यालय और दो वोकेशनल प्रशिक्षण केंद्रों का दौरा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक वहां वोकेशनल प्रशिक्षण के लिए सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों की मदद ली जाती है, प्रशिक्षण लेने वाले छात्र को यही कंपनियां स्कूलों में प्लेसमेंट के जरिए रोजगार दे देती हैं।


दल ने स्कूलों के ढांचागत सुधार, क्लास रूम शिक्षण से संबंधित कार्ययोजना सहित अन्य प्रतिवेदन विभाग को सौंपे हैं। दुनिया में ज्यादातर देश विज्ञान, अभियांत्रिकी और तकनीक आधारित शिक्षा पर जोर देते हैं, जबकि कोरिया के स्कूलों में शिक्षा प्रणाली विज्ञान, तकनीक, अभियांत्रिकी, गणित और कला पर आधारित है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो