लेकिन सरकार ने अभी तक जीपीएस मॉनिटरिंग का न तो कंट्रोल सेंटर बनाया है और ना ही वाहनों में जीपीएस लगाने के लिए कोई व्यवस्था की है। जीपीएस सिस्टम की मानीटरिंग में भारी राशि खर्च होने और हर जिले में तकनीकी अमले की कमी से खनिज विभाग आगे-पीछे हो रहा है।
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अब खनिज विभाग इसके लिए अलग से नियम तथा निर्देश बनाने पर विचार कर रहा है। हालांकि रेत परिवहन करने वाले वाहनों का रजिस्ट्रेशन जिलों द्वारा शुरू कर दिया गया है।
रेत के अवैध परिवहन और उत्खनन पर अंकुश लगाने के लिए खदानों में कैमरे और जियो टैगिंग की अनिवर्यता से भी सरकार पीछे हट गई है। फिलहाल रेत परिवहन और खदानों में उत्खनन की जो पूर्व में व्यवस्था थी वैसे ही चलेगी।
सूत्रों के मुताबिक खनिज विभाग के अफसरों ने सरकार को सलाह दी है कि वाहनों में जीपीएस लगाने से अवैध परिवहन पर बहुत ज्यादा अंकुश नहीं लग सकता है। क्योंकि अवैध परिवहन तो ओव्हर लोडिंग के माध्यम से होता है। रेत लेकर वाहन कहां जा रहा है इसको जानने का अधिकार भी विभाग के पास नहीं है। खनिज विभाग यही जांच सकता है कि जिस वाहन में रेत जा रही है उसकी टीपी (ट्रांजिट पास) है अथवा नहीं और निर्धारित मात्रा से अधिक रेत तो नहीं परिवहन की जा रही है।
जिले स्तर पर होगा क्लस्टर
प्रदेश में करीब साढ़े 16 सौ रेत खदाने हैं। इनका क्लस्टर जिला स्तर पर बनाने पर विचार किया जा रहा है। जिला स्तर पर एक ही रेत ठेकेदार को खदाने आवंटित की जाएंगी। रेत की मात्रा का नए सिरे से निर्धारण जिला खनिज अधिकारियों द्वारा की जा रही है। बताया जाता है कि क्लस्टर बनाने पर सरकार की मुहर लगने के बाद ही रेत खदानों की निविदा जारी की जाएगी।
टीपी बनवाते समय देना होगा डिटेल
खदान में टीपी लेते समय रेत खरीदने वालों को यह बताना होगा कि वो रेत लेकर कहां जा रहे हैं। उस क्षेत्र की दूरी कितनी है और उस स्थान तक पहुंचने में उन्हें कितना समय लगेगा। उन्हें यह भी बताना पड़ेगा कि इस तारीख को वे कितनी बार रेत लेने खदान में पहुंचे हैं। यह सारी बाते उनकी टीपी में रेत की मात्र के साथ ही उक्त बातों का भी उल्लेख किया जाएगा।
पुलिस की दखलंदाजी रोकने पर सरकार का इनकार
रेत की जांच में पुलिस का हस्तक्षेप रोकने से सरकार ने इनकार कर दिया है। पुलिस अभी भी रेत ट्रक व ओवर लोडिंग की पूर्ववत जांच-पड़ताल कर सकेगी। नई नीति जारी होने से पहले सरकार ने लोगों से सुझाव बुलाए थे, जिसमें सबसे ज्यादा लोगों के पुलिस की दखलंदाजी रोकने के संबंध में सुझाव दिए थे।
समिति बनाने पर होगा मंथन
रेत उत्खनन के लिए खदान स्तर पर जो समितियां काम करेगी, उनका गठन कौन करेंगा, इस पर अभी मंथन चल रहा है। अभी तक खदान स्तर पर कोई भी समिति काम नहीं कर रही है। ठेकेदार, जिला पंचायत अथवा प्रशासन में से किसे इन समियों का गठन करना है, इसे लेकर अभी तय नहीं हो पाया है।