धारा 52 को लेकर रहा विवाद –
उज्जैन विश्वविद्यालय एक साल पहले जब धारा 52 लगाई गई थी, उस दौरान राजभवन ने एतराज जताया था। तर्क दिया गया कि सरकार ने ऐसे समय धारा 52 लगाई जब कुलपति चयन की प्रक्रिया चल रही थी। क्योंकि तत्कालीन कुलपति प्रो. एसएस पाण्डेय इस्तीफा देने चुके थे और यहां प्रो. बालकृष्ण शर्मा को कार्यवाहक कुलपति नियुक्ति किया था। नए कुलपति की नियुक्ति होना थी। ऐसे में कुलपति को हटाते हुए धारा लगाने का कोई औचित्व नहीं बनता।
ईसी सदस्य नहीं होगा सर्च कमेटी में –
यह पहला मौका होगा जब कुलपति चयन समिति में कार्यपरिषद का सदस्य नहीं होगा। जबकि इसके पहले कार्यपरिषद का सदस्य चयन समिति में रहा है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि हाल ही में विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन किया गया है। इस संशोधन के तहत कुलपति चयन समिति में कार्यपरिषद सदस्य के स्थान पर राज्य सरकार के प्रतिनिधि को सदस्य के तौर पर नियुक्त किए जाने का प्रावधान किया गया है। हाल ही में राज्यपाल ने इस संशोधन को स्वीकृति दी है।