उन्हें तमाम तरह की अनुमतियों के लिए सरकार सिंगल विंडो सिस्टम तैयार करेगी। इन सारे विभागों से अनुमतियां दिलाने की जिम्मेदारी किसी एक विभाग को सौंपी जाएगी। इसी सिस्टम के माध्यम से उन्हें सभी तरह के अनुमतियां भी मिल सकेंगी।
रियल स्टेट पॉलिसी तैयार करने का काम अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान कर रहा है। नई पॉलिसी में प्रोजेक्ट लांच करने से लेकर प्रोजेक्ट कम्प्लीट होने तक विभिन्न विभागों से जुड़ी जितनी औचपारिकताएं और नामदंड तय हैं, उन्हें शामिल किया जाएगा।
इन मानदंडों को पूरा करने और उससे जुड़े दस्तवेज लगाने के बाद ही बिल्डर प्रोजेक्ट लांच करने के लिए आवेदन कर सकेंगे। इसके लिए एक इंटिग्रेटेड साफ्टवेयर तैयार किया जाएगा, इससे रेरा को भी जोड़ा जाएगा। इसी साफ्टवेयर के माध्यम से बिल्डर अपने ऑफिस से ही आवेदन कर सकेंगे, उन्हें किसी विभाग के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके लिए उन्हें लॉगिन-पासवर्ड भी उपलब्ध कराया जाएगा।
उसी लॉगिन के माध्यम से बिल्डर अपने प्रोजेक्ट से जुड़े सवालों का जवाब भी दे सकेंगे। विभाग इसी लॉगिन से उन्हें समय-समय पर दिशा-निर्देश भी दे सकेगा। बिल्डरों और पुराने अनुभवी अधिकारियों के फीडबैक के आधार पर नई नीति तैयार की जाएगी।
अध्ययन कर रहा है संस्थान
सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान नीति तैयार करने से पहले इस बात का अध्ययन कर रहा है कि बिल्डरों को अभी प्रोजेक्ट लांच करने, आवेदन करने और उसकी अनुमतियां लेने में किस तरह की दिक्कतें आ रही हैं।
संस्थान प्रदेश के अलग-अलग शहरों से करीब 50 बिल्डरों से चर्चा करेगा। नीति बनाने के संबंध में सुझाव भी लेगा, वर्तमान नीति के गुण-दोष जानने की कोशिश करेगा। बिल्डरों द्वारा जितने सुझाव दिए जाएंगे उसकी एक रिपोर्ट तैयार कर सरकार को उससे अवगत कराया जाएगा। सुझाव के आधार पर ही नीति तैयार की जाएगी।
सरकार ने रियल एस्टेट पालिसी तैयार करने का काम संस्थान को दिया है। पुरानी पॉलिसी के परीक्षण के साथ बिल्डरों से भी बात-चीत कर उनसे सुझाव लेगा। इसके बाद ही नई पॉलिसी तैयार की जाएगी। यह पॉलिसी करीब पांच माह में बनकर तैयार हो जाएगी। – आर परशुराम, डीजी, अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान