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सरकार का बड़ा फैसला, मकान-दुकान के लिए मिलेगी जमीन

locationभोपालPublished: Oct 25, 2021 08:47:43 am

Submitted by:

deepak deewan

मालिकाना हक के लिए कलेक्टोरेट में करने होंगे आवेदन
 

Government land will be available for house shop

मालिकाना हक के लिए कलेक्टोरेट में करने होंगे आवेदन

भोपाल. सरकारी जमीन पर सालों से काबिज लोगोें के लिए अच्छी खबर है. सरकारी सीलिंग की जमीन पर रह रहे लोगों को जल्द ही मालिकाना हक दे दिया जाएगा. इसके लिए प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है. विशेष बात यह है कि जमीन का उपयोग आवासीय और व्यावसायिक होने पर ही यानि मकान या दुकान के लिए ही मालिकाना हक मिलेगा.

ईदगाह हिल्स, बैरागढ़, बरखेड़ा पठानी, कोलार, शाहपुरा, शहर भोपाल व अन्य स्थानों पर सरकारी एवमं अर्बन सीलिंग की जमीनों पर मकान बनाकर रह रहे लोगों को मालिकाना हक के दस्तावेज जल्द ही मिलना शुरू हो जाएंगे। ईदगाह हिल्स और शाहपुरा से इसकी शुरुआत होगी। इस संबंध में करीब 450 से ज्यादा आवेदन कलेक्टोरेट पहुंच चुके हैं.

अधिकारियों के अनुसार जमीन का उपयोग आवासीय और व्यावसायिक होने पर ही मालिकाना हक मिलेगा। कृषि भूमि पर अवैध मकान बना है तो उसे हक नहीं दिया जाएगा। 31 दिसंबर 2014 से पहले जमीन पर काबिज लोगो को ही मालिकाना हक दिया जाएगा। भू भाटक और प्रीमियम की गणना तहसीलदार करेंगे।

इसके बाद ऐसी प्रॉपर्टी पर काबिज तीन लाख की आबादी को बैंक लोन दे सकेंगी, ये लोग निर्माण एनओसी ले सकेंगे, प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त भी कर पाएंगे. अफसर अब इस काम को तेजी से शुरू करने जा रहे हैं. कोलार एसडीएम क्षितिज शर्मा बताते हैं कि शाहपुरा क्षेत्र से काफी आवेदन कलेक्टोरेट पहुंचे हैं. कोलार तहसील में न के बराबर ही आवेदन आए हैं। दिशा निर्देश मिलते ही आगामी कार्रवाई शुरू हो जाएगी.

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इन श्रेणियों में बांटा (अर्बन सीलिंग )
पहले निजी थी बाद में सरकारी हो गई, लेकिन कब्जा निजी व्यक्ति का है। उसे सिर्फ भू भाटक देना होगा, प्रीमियम शून्य रहेगा।
अगर कोई सरकारी जमीन है तो उसे वर्तमान कलेक्टर गाइडलाइन की दरों से प्रीमियम और भू भाटक दोनों देने होंगे।
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इन पर काबिजों को नहीं मिलेगा हक
शासकीय परियोजना और प्रायोजनों के लिए छोड़ी गई जमीनें।
नदी, नाला या जलसंग्रहण के लिए छोड़ी गई जमीन हो।
धार्मिक संस्था, माफी या औकाफ की जमीन हो।
पार्कों, खेल के मैदानों, सडक़ों, गलियों या किसी अन्य सामुदायिक उपयोग की हो, राजस्व वन भूमि, छोटे बड़े झाड़ के जंगल हों।
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इन दस्तावेजों की जरूरत होगी: 31 दिसंबर 2014 से पूर्व जमीन पर काबिज हो। बिजली बिल, जल प्रदाय संबंधी बिल, सरकारी दफ्तर या उपक्रम से भूखंड से संबंधित जारी कोई पत्राचार/दस्तावेज, जनगणना 2011 में उल्लेखित पता, सम्पत्ति की रसीद, मतदाता सूची में नाम।
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