दरअसल, यह खुलासा तब हुआ जब सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने इनकी सामाजिक स्थिति पर अध्ययन करवाया। यह अध्ययन अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ गु़ड गवर्नेंस और पॉलिसी एनालिसिस द्वारा किया गया है। रिपोर्ट में जो बातें सामने आईं हैं, उसके आधार पर ट्रांसजेंडर समुदाय को सरकारी नौकरियों में आरक्षण भी दी जा सकती है। इसके जरिए सरकार की यह कोशिश होगी कि उपेक्षित समुदाय के लोगों को समाज के करीब लाया जा सके।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के निदेशक कृष्ण गोपाल तिवारी ने कहा कि इसके लिए बजट मंजूर कर दिया गया है। सिफारिशों के आधार पर इस समुदाय के उत्थान के लिए हम और भी कदम उठाएंगे।
देश की पहली किन्नर विधायक थी शबनम मौसी
मध्यप्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य भी है, जहां विधायक के रूप में पहली बार किन्नर शबनम मौसी चुनी गईं। 1998 में ट्रांसजेंडरों को मतदान का अधिकार दिया गया था। इसके चार साल बाद ही शहडोल जिले के सोहागपुर विधानसभा क्षेत्र से शबनम मौसी चुनाव लड़ीं और जीत गईं। उसके बाद कहा था कि राजनीति में शामिल होने के लिए अपने समुदाय के कई अन्य लोगों को भी प्रेरित किया था।
किन्नर कल्याण बोर्ड का गठन
2014 में पूर्व विधायक शबनम मौसी और पूर्व मेयर कमला बुआ ने राज्य स्वच्छता अभियान में शामिल होने की घोषणा की थी। पिछली शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने समुदाय के कल्याण को देखने के लिए राज्य में किन्नर कल्याण बोर्ड का गठन किया था।
वहीं, पिछले साल ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट संजना सिंह देश की पहली सरकारी अधिकारी बनी थीं। उनकी नियुक्ति भोपाल में निदेशक सोशल जस्टिस एंड डिसेबल्ड पर्सन्स वेलफेयर के निजी सचिव के रूप में हुई थी।