प्रदेश को शराब के दलदल में झोंकने की तैयारी कर रही सरकार : कमलनाथ
पूर्ण शराबबंदी की बातें करने वाली भाजपा की हकीकत

भोपाल : पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। कमलनाथ ने कहा कि कितना शर्मनाक है कि जो भाजपा चुनाव के पूर्व शराबबंदी की बात करती थी वो आज मध्य प्रदेश को शराब के दलदल में झोंकने की तैयारी कर रही है। अब जहरीली शराब के नाम पर शराब दुकानों को बढ़ाने की तैयारी की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि मैं तो शुरू से ही कहता आया हूं कि मध्यप्रदेश में भले लोगों को राशन नहीं मिले लेकिन सरकार शराब जरूर उपलब्ध करा रही है। कोरोना महामारी में भी धार्मिक स्थल ,आयोजन ,वैवाहिक कार्यक्रम बंद रहे ,कफ्र्यू लगा रहा लेकिन शराब की दुकानें देर रात तक चालू रहीं। प्रदेश की शिवराज सरकार शराब प्रेमी सरकार है और शराब की दुकानें व शराब के व्यवसाय को बढ़ाने के लिए नित नए निर्णय लेने का काम करती रहती है। यदि प्रदेश में शराब की दुकानें बढ़ाई गईं तो कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी, हम सदन से लेकर सडक़ तक इस जनविरोधी निर्णय का खुलकर विरोध करेंगे।
महिला अपराध पर तय हो जवाबदेही :
कमलनाथ ने कहा कि मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार में बहन-बेटियों से दरिंदगी की घटनाएं निरंतर जारी है। बहन-बेटियां चाहती है सबसे पहले सुरक्षा लेकिन कभी पूजन व कभी उम्र के नाम पर गुमराह करने का काम जारी है। सीधी ,खंडवा , उमरिया की वीभत्स घटनाओं के बाद अब बैतूल जिले की सारनी व इंदौर की घटना ने प्रदेश को शर्मशार किया है। जो विपक्ष में बैठकर बहन-बेटियों की सुरक्षा को लेकर लंबे-चौड़े भाषण देकर धरने देते थे वो आज इन घटनाओं पर मौन हैं। पता नहीं कब नींद से जागेगी सरकार और बहन-बेटियों को सुरक्षा प्रदान करने को लेकर कड़े कदम उठायेगी। जहरीली शराब की तरह ही बहन-बेटियों से दरिंदगी की घटनाओं पर जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए।
बिजली पर सरकार का जनविरोधी फैसला :
कमलनाथ ने कहा कि हमारी सरकार ने लोगों को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने के लिए इंदिरा गृह ज्योति योजना शुरू की थी ,जिसमें हमने 100 रुपये में 100 यूनिट तक बिजली प्रदान करते हुए 150 यूनिट तक खर्च वाले उपभोक्ताओं को भी इस योजना में शामिल किया था। अब शिवराज सरकार हमारी इस जनहितैषी योजना से मध्यम वर्ग के लोगों को बाहर करने की तैयारी कर रही है। शिवराज सरकार का यह निर्णय जनविरोधी है, कोरोना महामारी में पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे मध्यमवर्गीय लोगों पर इस निर्णय से बड़ी मार पड़ेगी।
सरकार इस निर्णय पर पुनर्विचार करे।
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