नए नियमों में ट्रांसफार्मर लगवाने या अतिरिक्त नेटवर्क के लिए लोगों को ज्यादा पैसा देना होगा। खास यह है कि विभिन्न श्रेणियों में 10 से 46 हजार रुपए तक उपभोक्ताओं को देने होंगे। हालांकि गरीबों से 10 रुपए लिए जाएंगे। इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है।
बिजली की खपत बढऩे से कई जगह अतिरिक्त नेटवर्क की जरूरत होती है। खपत और लोड बढऩे से ट्रांसफार्मर-फीडर अपग्रेडेशन भी करना पड़ता है।
नए उपभोक्ता भी खपत और लोड बढ़ाते हैं। ऐसे में अतिरिक्त लोड के हिसाब से इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए उपभोक्ताओं से शुल्क लिया जाता है। इसी के नियमों में तब्दीली की गई है।
यहां सख्ती
अवैध कॉलोनियों में बिजली का इन्फ्रास्ट्रक्चर व अतिरिक्त नेटवर्क के लिए नियम तय किए गए हैं। इसके तहत लागत का 75% संबंधित उपभोक्ताओं
को देना होगा। बाकी 25% क्षेत्र के नए उपभोक्ताओं से लिया जाएगा।
शुल्क का गणित
गरीबी रेखा से नीचे 500 वॉट तक:- 10 रुपए
3 किलोवाट तक सिंगल फेज:- 340 रुपए
3-10 किलोवाट तक थ्री-फेज:- 1000 रुपए प्रति किलोवाट
25 से 50 किलोवाट तक:- 50200 रुपए प्रति किलोवाट
* इसमें कॉम्प्लेक्स बहुमंजिला इमारत, आवासीय कॉलोनियां शामिल नहीं हैं।
आवासीय कॉलोनियों के लिए ऐसा होगा फॉर्मूला
सामान्य आवासीय कॉलोनियों के लिए 5000 किलोवॉट तक 5050 रुपए प्रति केवीए देना होंगे। साथ ही सप्लाई अफोर्डिंग चार्जेस के रूप में 10 प्रतिशत राशि भी देनी होगी। इन मामलों में अतिरिक्त ट्रांसफार्मर की स्थिति में सर्विस लाइन अलग से उपभोक्ता को खुद के खर्च पर लगानी होगी। इसके अलावा आइटी पार्क, स्ट्रीट लाइट सहित अन्य प्रकार की श्रेणियों के लिए भी अलग-अलग शुल्क तय किए गए हैं।
मॉल व कॉम्प्लेक्स के लिए यह तरीका
: 3 किलोवॉट तक सिंगल फेस
: 50 रुपए प्रति किलो वॉट
: 3 से 10 किलोवॉट तक थ्री-फेस 300 रुपए प्रति किलोवॉट
: 10 से 25 किलोवॉट तक
: 1580 रुपए प्रति किलोवॉट
: 25 किलोवॉट से ज्यादा
: 7530 रुपए प्रति किलोवॉट
खेती में किसान को ही देनी होगी राशि
खेती के बिजली कनेक्शन को यदि एक जगह से दूसरी जगह ट्रांसफर किया जाता है तो पूरा खर्च किसान को ही उठाना होगा। इसमें बढऩे वाले ट्रांसफार्मर और सर्विस लाइन का खर्च भी देना होगा। इसके अतिरिक्त हाईटेंशन लाइन में अतिरिक्त मांग की स्थिति में 1260 रुपए प्रति केवीए की दर तय की गई है।