खास बात यह है कि आदेश में कहा गया है कि मुआवजा पाने के लिए डेथ सर्टिफिकेट में कोविड से मौत दर्ज होना जरूरी नहीं है। इस संबंध में दस्तावेज प्रमाणित करने के अधिकार एक कमेटी को दिए गए हैं जिसकी कलेक्टर अध्यक्षता करेंगे। यह कमेटी 30 दिन में निर्णय करेगी। जानकारी के अनुसार सरकार के ये नए नियम 31 दिसंबर तक लागू रहेंगे।
कोरोना से प्रदेश में कई मौतें हुईं. सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक कोविड से अभी तक प्रदेश में 10,526 लोगों की मौतें हो चुकी हैं। कोेरोना महामारी से कई अन्य लोगों की मौत भी हुई हैं, लेकिन सर्टिफिकेट में इसका जिक्र नहीं किया गया। नए निर्देश के बाद ऐसे लोगों के परिजनों को भी मुआवजा मिल सकेगा.
इसके लिए मृतक के परिजन को डेथ सर्टिफिकेट पेश करना होगा। डेथ सर्टिफिकेट में कोरोना का जिक्र नहीं होने पर जिला स्तर पर गठित कोरोना संक्रमण कमेटी से मृत्यु प्रमाणित करने के लिए आवेदन कर सकेंगे। सर्टिफिकेट में यदि मृतक के वारिस का उल्लेख नहीं है, तो भी यही प्रक्रिया अपनानी होगी.
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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जारी किया था सर्कुलर
गौरतलब है कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था. इसके बाद गृह मंत्रालय ने राज्यों को सर्कुलर जारी किया था. इसमें यह भी कहा गया कि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 3 सितंबर को जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, ऐसे मृतकों के परिजनों के लिए भी अनुग्रह राशि लागू होती है, जो लोग राहत कार्यों या फिर तैयारी की गतिविधियों में शामिल थे।