राज्य की खजाने की स्थिति किसी से छिपी नहीं है, इसलिए सरकार खर्चों में कटौती कर रही है। अनावश्यक खर्चों को रोका गया है। विभागों से कहा गया है कि वे अपने-अपने यहां के आय और व्यय का पूरा ब्यौरा लेकर आएं। चालू वित्तीय वर्ष के खर्च ब्यौरे के साथ अगले वित्तीय वर्ष के लिए बजट की जरूरत भी विभागों को बताना होगी। विभागों को वित्तीय वर्ष के शुरूआती चार माह के संभावित खर्च का माहवार प्रस्ताव भी देना होगा।
योजनाओं की होगी समीक्षा –
राज्य में चल रही योजनाओं और उसमें खर्च हो रही राशि की भी समीक्षा की जा रही है। सरकारी योजनाओं की उपयोगिता को देखा जाएगा। साथ ही यदि विभाग को लगता है कि कोई योजना अनुपयोगी है तो उसे बंद किए जाने का निर्णय भी हो सकता है। एक जैसी योजनाओं को आपस में मर्ज करने की भी तैयारी है। यानी वित्त विभाग एक जैसी योजनाओं के लिए अगल-अलग राशि जारी नहीं करेगा।