सरकार बच्चों के बुद्धि का विकास, स्वस्थ्य और उन्हें तंदरुस्त बनाने के लिए प्रत्येक शासकीय प्राथमिक स्कूलों मेें दूध का वितरण करती है। स्कूलों में प्रत्येक बच्चे के मान से दस ग्राम दूध पॉउडर प्रदान किया जाता है। यह दूध प्रदेश के 56 लाख बच्चों को सप्ताह में तीन दिन वितरण किया जा रहा है।
स्कूलों में मध्यान्ह भोजन के दौरान शिक्षक की निगरानी में सौ ग्राम गुनगने पानी के साथ दस ग्राम दूध पाउडर को घोलकर बच्चों पिलाया जाता है। इस कार्य को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग संचालित करता है। पिछले दो-तीन सालों से यह देखा जा रहा है कि चाकलेट फ्लेवर के दूध की डिमांड ही बच्चों की तरफ आ रही है।
बच्चों की पसंदगी पर तय होता है फ्लेवर
स्कूलों में बच्चों की पसंद के आधार पर ही दूध का फ्लेवर तय किया जाता है। इसके लिए हर माह बच्चों से फीडबैक फार्म भराया जाता है। जिस फ्लेवर की सबसे ज्यादा डिमांड होती है वैसी के मिल्क पॉउडर की सप्लाई के लिए दुग्धसंघ को आदेश दिए जाते हैं।
बच्चों के सेहत में आया बदलाव
स्वास्थ्य विभाग के रिपोर्ट के अनुसार दूध वितरण से बच्चों के सेहत में बदलाव आया है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण शिविर आयोजित कर इसकी रिपोर्ट जिला स्तर पर तैयार करता है।
स्कूलों में बच्चे को सबसे ज्यादा चाकलेटी दूध पसंद है। बच्चों की पसंदगी के आधर पर स्कूलों में दूध के फ्लेवर में बदलाव किया गया है। – दिलीप कुमार, संचालक (मध्यान्ह भोजन) पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग