– बिजली : तीनों मुददों में सबसे ज्यादा करंट
सूबे में बिजली की आंख-मिचौली ने सरकार को मुश्किल में ला दिया। सरकार को सफाई तक जारी करनी पड़ी है कि कुछ दिन में हालात संभाल लिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने बिजली को लेकर आपात बैठक बुलाई और अफसरों को खूब फटकारा भी, लेकिन फिलहाल बिजली पर हालात संभले नहीं हैं। कमलनाथ ने 30 जून तक की मोहलत अफसरों को दी है। उस पर भाजपा ने इस मुद्दे को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
– सड़क : बारिश बाद गड्ढे भरने पैसे नहीं
अभी सड़क को लेकर हालात कुछ संभले हैं, लेकिन मानूसन सामने है। सड़कों की असली परेशानी बारिश के बाद शुरू होगी। सरकार के पास पैसा नहीं है कि बारिश पूर्व कोई काम कर सके। उस पर बारिश बाद भी मरम्मत व पेंचवर्क के लिए बजट की दिक्कत रहना है। 2017 में बारिश से 105 किमी सड़कें ऐसी उखड़ी थीं कि उन्हें दोबारा बनाने का निर्णय हुआ था, लेकिन वे अब तक नहीं बन सकी। 2018 और 2019 में विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के कारण नई सड़कों पर ब्रेक लग गया। सरकार मार्च में मुख्य बजट की जगह लेखानुदान लाई थी, इसलिए भी सड़कों के लिए अधिक राशि नहीं मिल पाई। अब कमलनाथ ने इसी हफ्ते सड़कों पर समीक्षा रखी है। इसमें आगामी रणनीति पर चर्चा होगी। औसतन 800 करोड़ रुपए मरम्मत पर सालाना खर्च होते हैं। इस बार औसत 550 करोड़ ही इस पर खर्च हो पाए हैं।
पानी : अब पुलिस का पहरा
सूबे में 63.25 फीसदी तक भू-जलस्तर गिर चुका है। ऐसे में सरकार के लिए पेयजल आपूर्ति चुनौतीपूर्ण हो गया है। सभी जिलों की पुलिस को अलर्ट जारी किया गया है। कहीं भी पानी के विवाद को अनदेखा नहीं करने के लिए कहा गया है। बजट के संकट के कारण पेयजल परिवहन को लेकर भी निकायों की स्थिति खराब है। निकायों के पास भुगतान का पैसा नहीं है। मौसम विभाग ने इस बार मानसून 13 की जगह 20 जून तक आने की संभावना जताई है। 122 से ज्यादा निकायों में नियमित आपूर्ति बाधित हो चुकी है। 1284 नल-जल योजनाएं बंद पड़ी हैं।
– प्रदेश में दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति : राकेश
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह ने शुक्रवार को मीडिया से चर्चा में कहा कि प्रदेश सरकार को यह भी समझ नहीं आ रहा है कि उसे व्यवस्था सुधारने के लिए क्या करना है। प्रदेश में दुर्भाग्यपूर्ण स्थितियां निर्मित हो रही हैं। कहीं बिजली व्यवस्था सुधारने के लिए सरकार इंटेलीजेंस को लगा रही है तो कहीं पानी के लिए पुलिस तैनात की जा रही है। सरकार को यह भी नहीं पता कि लोगों को राहत देने के लिए मुख्यमंत्री और मंत्रियों को खुद सड़क पर उतरना पड़ता है।
– सवाल उठाना जनविरोधी : कांग्रेस
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने बताया कि बारिश कम होने से पूरे देश में चारों ओर पानी का संकट व्याप्त है। यह प्राकृतिक संकट है, इसमें किसी सरकार या दल का दोष नहीं होता है, लेकिन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह जल स्रोतों पर पुलिस व्यवस्था पर सवाल उठाना जनविरोधी, बेहद बचकाना व हास्यास्पद है। इसी तरह बिजली मेंटेनेंस को अघोषित कटौती बताकर मुद्दा बनाना भी उनकी ओछी मानसिकता दर्शाती है।
सूबे में बिजली की आंख-मिचौली ने सरकार को मुश्किल में ला दिया। सरकार को सफाई तक जारी करनी पड़ी है कि कुछ दिन में हालात संभाल लिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने बिजली को लेकर आपात बैठक बुलाई और अफसरों को खूब फटकारा भी, लेकिन फिलहाल बिजली पर हालात संभले नहीं हैं। कमलनाथ ने 30 जून तक की मोहलत अफसरों को दी है। उस पर भाजपा ने इस मुद्दे को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
– सड़क : बारिश बाद गड्ढे भरने पैसे नहीं
अभी सड़क को लेकर हालात कुछ संभले हैं, लेकिन मानूसन सामने है। सड़कों की असली परेशानी बारिश के बाद शुरू होगी। सरकार के पास पैसा नहीं है कि बारिश पूर्व कोई काम कर सके। उस पर बारिश बाद भी मरम्मत व पेंचवर्क के लिए बजट की दिक्कत रहना है। 2017 में बारिश से 105 किमी सड़कें ऐसी उखड़ी थीं कि उन्हें दोबारा बनाने का निर्णय हुआ था, लेकिन वे अब तक नहीं बन सकी। 2018 और 2019 में विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के कारण नई सड़कों पर ब्रेक लग गया। सरकार मार्च में मुख्य बजट की जगह लेखानुदान लाई थी, इसलिए भी सड़कों के लिए अधिक राशि नहीं मिल पाई। अब कमलनाथ ने इसी हफ्ते सड़कों पर समीक्षा रखी है। इसमें आगामी रणनीति पर चर्चा होगी। औसतन 800 करोड़ रुपए मरम्मत पर सालाना खर्च होते हैं। इस बार औसत 550 करोड़ ही इस पर खर्च हो पाए हैं।
पानी : अब पुलिस का पहरा
सूबे में 63.25 फीसदी तक भू-जलस्तर गिर चुका है। ऐसे में सरकार के लिए पेयजल आपूर्ति चुनौतीपूर्ण हो गया है। सभी जिलों की पुलिस को अलर्ट जारी किया गया है। कहीं भी पानी के विवाद को अनदेखा नहीं करने के लिए कहा गया है। बजट के संकट के कारण पेयजल परिवहन को लेकर भी निकायों की स्थिति खराब है। निकायों के पास भुगतान का पैसा नहीं है। मौसम विभाग ने इस बार मानसून 13 की जगह 20 जून तक आने की संभावना जताई है। 122 से ज्यादा निकायों में नियमित आपूर्ति बाधित हो चुकी है। 1284 नल-जल योजनाएं बंद पड़ी हैं।
– प्रदेश में दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति : राकेश
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह ने शुक्रवार को मीडिया से चर्चा में कहा कि प्रदेश सरकार को यह भी समझ नहीं आ रहा है कि उसे व्यवस्था सुधारने के लिए क्या करना है। प्रदेश में दुर्भाग्यपूर्ण स्थितियां निर्मित हो रही हैं। कहीं बिजली व्यवस्था सुधारने के लिए सरकार इंटेलीजेंस को लगा रही है तो कहीं पानी के लिए पुलिस तैनात की जा रही है। सरकार को यह भी नहीं पता कि लोगों को राहत देने के लिए मुख्यमंत्री और मंत्रियों को खुद सड़क पर उतरना पड़ता है।
– सवाल उठाना जनविरोधी : कांग्रेस
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने बताया कि बारिश कम होने से पूरे देश में चारों ओर पानी का संकट व्याप्त है। यह प्राकृतिक संकट है, इसमें किसी सरकार या दल का दोष नहीं होता है, लेकिन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह जल स्रोतों पर पुलिस व्यवस्था पर सवाल उठाना जनविरोधी, बेहद बचकाना व हास्यास्पद है। इसी तरह बिजली मेंटेनेंस को अघोषित कटौती बताकर मुद्दा बनाना भी उनकी ओछी मानसिकता दर्शाती है।