राज्य के आयुष विभाग ने इसके लिए कार्य योजना तैयार की है। इसके तहत भारतीय चिकित्सा पद्धति से जुड़ी विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य वर्धन जानकारियां, आयुर्वेदिक उपायों और औषधीय पौधों की पुस्तकें प्रकाशित कराई जा रही है। इसमें इन पौधों के फोटो के साथ इनके उपयोग की जानकारी भी होगी। हिन्दी के साथ अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित इन पुस्तकों को सार्वजनिक स्थानों पर उपलब्ध कराया जाएगा।
इसके लिए दिल्ली स्थित मध्यप्रदेश भवन, पर्यटन निगम के होटलों, सूचना केन्द्रों सहित अन्य स्थानों का चयन किया जा रहा है, जिससे इनका अधिक से अधिक प्रसार-प्रसार हो सके। इन स्थानों पर यह पुस्तकें उपलब्ध होने के कारण लोग आयुर्वेद के प्रति अधिक से अधिक जागरूक हो सकेंगे। आयुर्वेद का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इस पद्धति से इलाज के कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं। इसलिए लोगों का इस पद्धति की ओर रुझान भी बढ़ा है। सरकार भी इसके लिए आगे आई है।
जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे – यह सही है कि हमारे घर के आसपास कई औषधीय पौधे होते हैं, लेकिन इनकी पहचान न होने के कारण लोग इन्हें अनदेखा कर देते हैं। कई बार इन्हें जंगली पौधे समझकर हटा दिया जाता है। अब सरकार इसको लेकर जागरूकता अभियान चलाएगी, जिससे लोगों को इनके बारे में जानकारी मिल सके। यह भी बताया जाएगा कि कौन पौधा किस बीमारी के इलाज में काम आता है।
घरेलू नुस्खे से इलाज को बढ़ावा – नीम, हल्दी, तुलसी सहित ऐसे अनेक पौधे हैं, जिनके घरेलू नुस्खों से इलाज होता है। हल्दी की जड़ों और पत्तियों में औषधीय गुण होते हैं। इससे जोड़ों के दर्द, आर्थराइटिस, पाचन विकार, दिल और लिवर की बीमारियों से लडऩे की क्षमता है। नीम में रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है। श्यामा तुलसी से हर्बल चाय तैयार होती है। सफेद मूसली का उपयोग भी दवा के तौर पर होता है।
मंत्री बोले — आयुर्वेद के प्रति जागरूक करने के लिए विभाग का प्रयास है। इसी कड़ी में जागरूकता के लिए पुस्तक प्रकाशित कराई है। इसमें औषधी पौधो के फोटो के साथ और उसके औषधीय उपयोग की जानकारी है। जिससे लोग इसके प्रति जागरूक हो सकें। – विजयलक्ष्मी साधौ, आयुष मंत्री