भोपाल

जीआइएस मैपिंग का ये क्या करेगी सरकार, पढ़ें पूरी खबर

शिवराज सरकार के समय हुई प्रॉपर्टी की जीआइएस मैपिंग की जांच कराएगी कमलनाथ सरकार

भोपालJun 20, 2019 / 08:38 pm

anil chaudhary

mp police

जितेन्द्र चौरसिया, भोपाल. कमलनाथ सरकार पिछली भाजपा सरकार के समय से चल रहे ज्योग्राफिकल इंफार्मेशन सिस्टम (जीआइएस) से मैपिंग में प्रॉपर्टी टैक्स की चोरी की रेंडम जांच कराएगी। पिछली सरकार ने छह साल पहले शहरों में अवैध निर्माण, गलत मंजूरियां और प्रॉपर्टी टैक्स चोरी रोकने जीआइएस मैपिंग शुरू की थी, लेकिन बिचौलियों और अफसरों की मिलीभगत से गड़बडिय़ों पर काबू नहीं पाया जा सका। इससे जीआइएस पर करोड़ों खर्च करने के बावजूद प्रॉपर्टी टैक्स चोरों व मिलीभगत वाले बिचौलियों के सिस्टम पर काबू नहीं पाया जा सका। अब नई सरकार एक अगस्त से इसकी जांच कराएगी। भोपाल से ही स्पेशल टीमें पूरे प्रदेश में छापामार कार्रवाई करेंगी। इसके लिए सभी 386 शहरों के अफसरों की जिम्मेदारी तय होगी। इस जांच के नतीजे पूरे सैटेलाइट मैपिंग के काम का मूल्यांकन करके नए टारगेट व जवाबदेही तय करेंगे। यदि सरकार को इस कार्रवाई के बाद जरूरत लगती है तो आगे बड़ी कार्रवाई की जाएगी।
– ऐसा रहेगा जांच का फॉर्मूला
राज्य सरकार के रेंडम जांच के फॉर्मूले में तीन स्तर और तीन चरण रखे गए हैं। पहले स्तर में नगर निगमों में दो-दो प्रॉपर्टी, दूसरे स्तर में नगर पालिकाओं में दो-दो प्रॉपर्टी और तीसरे स्तर में नगर परिषद में एक-एक प्रॉपर्टी रेंडम तरीके से चुनी जाएगी। इसके बाद इन प्रॉपर्टी का सैटेलाइट मैपिंग का आकलन और मैदानी आकलन आकस्मिक तरीके से चेक किया जाएगा। पहले चरण में प्रॉपर्टी का चयन और टीमों का रेंडम मैदानी निरीक्षण करना है। दूसरे चरण में रेंडम जांच रिपोर्ट को तैयार करके कार्रवाई करना रहेगा। तीसरे चरण में कार्रवाई के बाद सुधार और कार्रवाई का आकलन शामिल रहेगा। रेंडम जांच के रिजल्ट ही आगे बड़ी जांच करने या फिर इस रेंडम जांच को कम करने का फैसला करेंगे।
– फेल हो रही मैपिंग
छह सालों पहले जीआइएस मैपिंग प्रॉपर्टी टैक्स चोरी पर शिकंजा कसने लाई गई थी, लेकिन टैक्स चोरी का खेल ऐसा रहा कि यह फेल हो गई। 2017 में सभी 386 शहरों में मैपिंग पूरी हो जानी थी, लेकिन अफसरों की बिचौलियों से मिलीभगत के कारण अभी तक 49 शहरों में ही मैपिंग हो पाई। इन 49 शहरों में भी मैपिंग के बाद 30 फीसदी ही अधिकतम संतोषजनक काम मिला है। न तो आम आदमी को प्रॉपर्टी टैक्स व अवैध निर्माण के खेल से मुक्ति मिली और न सरकार इस पर काबू पा सकी। अब सरकार ने पूरे सिस्टम को नए सिरे से रिफार्म करना तय किया है। इसके तहत 31 जुलाई तक तय लक्ष्य का काम पूरा करने के निर्देश दिए हैं। इसके अगले दिन एक अगस्त से हर शहर में रेंडम कार्रवाई शुरू होगी। इसमें 31 जुलाई तक हो चुके काम को चेक किया जाएगा। बाकी का काम नए चरण तय करके होगा।
– लोकल नहीं, भोपाल की स्पेशल टीम
पूरे प्रदेश में रेंडम सैंपलिंग और जांच के लिए भोपाल मुख्यालय से स्पेशल टीमें लगाई जाएंगी। इन टीमों के हाथ ही पूरी कार्रवाई की कमान रहेंगी। ये टीमें लोकल स्तर से भेजी रिपोर्ट व र्साफ्टवेयर के जरिए रेंडम प्रॉपर्टी चुनेंगी। इसके बाद यहां से पहले निरीक्षण करने पहुंचेंगी और लोकल टीम की मदद लेगी। इसके बाद अपनी रिपोर्ट भी शासन स्तर पर ही देंगी।

– क्या जरूरत और क्या खेल
जीआइएस के जरिए शहरों में हर प्रॉपर्टी और उससे मिलने वाले संपत्ति कर की मैपिंग होती है। इसमें सैटेलाइट इमेज के जरिए प्रॉपर्टी को देखा जाता है, फिर उसके रेवेन्यू से मिलान होता है। सामान्यत: बड़े मकान को छोटा या व्यावसायिक को आवासीय बताने, अतिरिक्त निर्माण छुपाने व मकान होने के बावजूद प्लाट बताकर सम्पत्ति कर बचाया जाता है। इससे शहरों का टैक्स राजस्व बेहद कम है। इसे बढ़ाने के लिए सैटेलाइट मैपिंग का सहारा लिया गया, लेकिन इसके बावजूद तय मानकों के हिसाब से काम नहीं हो सका। पहले तो जीआइएस मैपिंग लगातार लक्ष्यों से पीछे रही। उस पर इसकी इमेज मिलान व मैदानी निरीक्षणों का काम सटीक तरीके से नहीं हो पाया। सॉफ्टवेयर आधारित अपडेशन खूब हुए, लेकिन मैदानी परीक्षण में भी गड़बड़ी हुई। जब टैक्स रेवेन्यू की स्थिति जांची तो गड़बड़ी सुधारने व मैपिंग को अधिक दुरुस्त करने रेंडम जांच कराना तय किया गया।
– प्रदेश एक नजर में
16 नगर निगम
98 नगर पालिका
272 नगर परिषद
386 शहर
386 शहरों में 2017 तक होना थी मैपिंग
49 शहरों में ही हो पाई अब तक पूरी
30 फीसदी से ज्यादा इन 49 शहरों के नतीजे भी संतोषजनक नहीं
जीआइएस मैपिंग के काम में जवाबदेही तय करने के लिए रेंडम जांच का निर्णय लिया है। अभी संतोषजनक काम नहीं मिल पाया है। हमारा जोर राजस्व बढ़ाने पर है।
– संजय दुबे, पीएस, नगरीय विकास एवं आवास विभाग
 

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