– फेल हो रही मैपिंग
छह सालों पहले जीआइएस मैपिंग प्रॉपर्टी टैक्स चोरी पर शिकंजा कसने लाई गई थी, लेकिन टैक्स चोरी का खेल ऐसा रहा कि यह फेल हो गई। 2017 में सभी 386 शहरों में मैपिंग पूरी हो जानी थी, लेकिन अफसरों की बिचौलियों से मिलीभगत के कारण अभी तक 49 शहरों में ही मैपिंग हो पाई। इन 49 शहरों में भी मैपिंग के बाद 30 फीसदी ही अधिकतम संतोषजनक काम मिला है। न तो आम आदमी को प्रॉपर्टी टैक्स व अवैध निर्माण के खेल से मुक्ति मिली और न सरकार इस पर काबू पा सकी। अब सरकार ने पूरे सिस्टम को नए सिरे से रिफार्म करना तय किया है। इसके तहत 31 जुलाई तक तय लक्ष्य का काम पूरा करने के निर्देश दिए हैं। इसके अगले दिन एक अगस्त से हर शहर में रेंडम कार्रवाई शुरू होगी। इसमें 31 जुलाई तक हो चुके काम को चेक किया जाएगा। बाकी का काम नए चरण तय करके होगा।
– लोकल नहीं, भोपाल की स्पेशल टीम
पूरे प्रदेश में रेंडम सैंपलिंग और जांच के लिए भोपाल मुख्यालय से स्पेशल टीमें लगाई जाएंगी। इन टीमों के हाथ ही पूरी कार्रवाई की कमान रहेंगी। ये टीमें लोकल स्तर से भेजी रिपोर्ट व र्साफ्टवेयर के जरिए रेंडम प्रॉपर्टी चुनेंगी। इसके बाद यहां से पहले निरीक्षण करने पहुंचेंगी और लोकल टीम की मदद लेगी। इसके बाद अपनी रिपोर्ट भी शासन स्तर पर ही देंगी।
छह सालों पहले जीआइएस मैपिंग प्रॉपर्टी टैक्स चोरी पर शिकंजा कसने लाई गई थी, लेकिन टैक्स चोरी का खेल ऐसा रहा कि यह फेल हो गई। 2017 में सभी 386 शहरों में मैपिंग पूरी हो जानी थी, लेकिन अफसरों की बिचौलियों से मिलीभगत के कारण अभी तक 49 शहरों में ही मैपिंग हो पाई। इन 49 शहरों में भी मैपिंग के बाद 30 फीसदी ही अधिकतम संतोषजनक काम मिला है। न तो आम आदमी को प्रॉपर्टी टैक्स व अवैध निर्माण के खेल से मुक्ति मिली और न सरकार इस पर काबू पा सकी। अब सरकार ने पूरे सिस्टम को नए सिरे से रिफार्म करना तय किया है। इसके तहत 31 जुलाई तक तय लक्ष्य का काम पूरा करने के निर्देश दिए हैं। इसके अगले दिन एक अगस्त से हर शहर में रेंडम कार्रवाई शुरू होगी। इसमें 31 जुलाई तक हो चुके काम को चेक किया जाएगा। बाकी का काम नए चरण तय करके होगा।
– लोकल नहीं, भोपाल की स्पेशल टीम
पूरे प्रदेश में रेंडम सैंपलिंग और जांच के लिए भोपाल मुख्यालय से स्पेशल टीमें लगाई जाएंगी। इन टीमों के हाथ ही पूरी कार्रवाई की कमान रहेंगी। ये टीमें लोकल स्तर से भेजी रिपोर्ट व र्साफ्टवेयर के जरिए रेंडम प्रॉपर्टी चुनेंगी। इसके बाद यहां से पहले निरीक्षण करने पहुंचेंगी और लोकल टीम की मदद लेगी। इसके बाद अपनी रिपोर्ट भी शासन स्तर पर ही देंगी।
– क्या जरूरत और क्या खेल
जीआइएस के जरिए शहरों में हर प्रॉपर्टी और उससे मिलने वाले संपत्ति कर की मैपिंग होती है। इसमें सैटेलाइट इमेज के जरिए प्रॉपर्टी को देखा जाता है, फिर उसके रेवेन्यू से मिलान होता है। सामान्यत: बड़े मकान को छोटा या व्यावसायिक को आवासीय बताने, अतिरिक्त निर्माण छुपाने व मकान होने के बावजूद प्लाट बताकर सम्पत्ति कर बचाया जाता है। इससे शहरों का टैक्स राजस्व बेहद कम है। इसे बढ़ाने के लिए सैटेलाइट मैपिंग का सहारा लिया गया, लेकिन इसके बावजूद तय मानकों के हिसाब से काम नहीं हो सका। पहले तो जीआइएस मैपिंग लगातार लक्ष्यों से पीछे रही। उस पर इसकी इमेज मिलान व मैदानी निरीक्षणों का काम सटीक तरीके से नहीं हो पाया। सॉफ्टवेयर आधारित अपडेशन खूब हुए, लेकिन मैदानी परीक्षण में भी गड़बड़ी हुई। जब टैक्स रेवेन्यू की स्थिति जांची तो गड़बड़ी सुधारने व मैपिंग को अधिक दुरुस्त करने रेंडम जांच कराना तय किया गया।
– प्रदेश एक नजर में
16 नगर निगम
98 नगर पालिका
272 नगर परिषद
386 शहर
386 शहरों में 2017 तक होना थी मैपिंग
49 शहरों में ही हो पाई अब तक पूरी
30 फीसदी से ज्यादा इन 49 शहरों के नतीजे भी संतोषजनक नहीं
जीआइएस मैपिंग के काम में जवाबदेही तय करने के लिए रेंडम जांच का निर्णय लिया है। अभी संतोषजनक काम नहीं मिल पाया है। हमारा जोर राजस्व बढ़ाने पर है।
– संजय दुबे, पीएस, नगरीय विकास एवं आवास विभाग
– संजय दुबे, पीएस, नगरीय विकास एवं आवास विभाग