इस पॉलिसी के चलते मंदसौर, नीमच सहित ९ जिलों में रेत के दाम आसमान पर पहुंच गए। वहीं लोगों को निर्माण के लिए रेत मंगाना काफी परेशानी भरा साबित हो रहा है। इन जिलों के कलेक्टरों ने रेत खनिज साधन विभाग से रेत भंडारण के लिए अनुमति मांगी है। कलेक्टरों का कहना है कि इन जिलों में रेत नहीं है। ऐसे में राजस्थान सहित दूसरे जिले से रेत लाने वाले ट्रक मंदसौर और नीमच की सीमा में पकड़ा जाता है, तो नियमों के अनुसार उस पर कार्रवाई की जाती है।
दो जिलों की खदानों का सर्वे
उज्जैन और आगर-मालवा की रेत खदानों को तीसरे टेंडर में भी खरीददार नहीं मिले। अब विभाग दोनों जिलों में उपलब्ध रेत खदानों का सर्वे कियाजा रहा है। सर्वे के दौरान जिलों में रेत भंडारण की स्थिति देखी जाएगी। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि दोनों जिलों में रेत की मात्रा कम और रेट ज्यादा हैं। इसके चलते ठेकेदार रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
जिन जिलों रेत खदाने नहीं हैं वहां भंडारण सहित अन्य विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। कुछ कलेक्टरों का पत्र रेत भंडारण के संबंध में आया था, लेकिन इसके लिए अलग से नीति बनाने पर विचार किया जा रहा है।
नीरज मंडलोई, प्रमुख सचिव, खनिज विभाग मप्र
नीमच में पहले तीन-चार रेत खदानें थीं, जो बंद हो चुकी हैं। नई नीति में रेत भंडारण के अधिकार समाप्त होने से जिले में रेत का संकट है। इस संबंध में खनिज साधन विभाग को पत्र लिखा है। साथ में जिले की बंद खदानों में संभावनाएं तलाशने को भी कहा गया है, जिससे भविष्य में रेत जिले में ही उपलब्ध हो सके। – अजय गंगवार, कलेक्टर नीमच