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‘मेट्रो’ के जरिए चुनावी सफर तय करने में जुटी सरकार, जानिए कहां होने वाला है भूमिपूजन

locationभोपालPublished: Sep 01, 2018 01:16:43 pm

Submitted by:

Faiz

‘मेट्रो’ के जरिए चुनावी सफर तय करने में जुटी सरकार, जानिए कहां होने वाला है भूमिपूजन

metro bhopal

‘मेट्रो’ के जरिए चुनावी सफर तय करने में जुटी सरकार, जानिए कहां होने वाला है भूमिपूजन

भोपालः मध्य प्रदेश में चुनाव नज़दीक हैं। खासतौर पर पक्ष और मुख्य विपक्ष अपने मुताबिक राजनीतिक समीकरण बनाने के लिए जी जीन से जुटे हुए हैं। प्रदेश का मुख्य विपक्षी दल मानी जाने वाली कांग्रेस घोषणा पत्र के बजाए वचन पत्र लोगों के सामने रखकर लुभाने की जुगत लगा रही है। तो वहीं, सत्ता पक्ष अब मेट्रो के ज़रिए अपना चुनावी सफर तय करने की पुरजोंर कोशिश में जुटा हुआ है। मेट्रो के काम को रफ्तार देने के लिए सरकार पूरी जी जान से जुटी हुई है। सरकार की कोशिश है कि चुनाव से पहले मेट्रो का काम शुरू हो जाए। इसी के तहत सितंबर में इंदौर और दिसंबर में भोपाल में काम शुरू करने तैयारियां की जा रही है।

इन दिनों में होगा भूमिपूजन

जिस तरह से सरकार ने रणनीति बनाई है, अगर सब ठीक समय पर हो सका तो सितंबर में मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान इंदौर में तारीख मिलते ही प्रोजेक्ट का भूमिपूजन कर देंगे। इसके बाद, दूसरे नंबर पर प्राथमिकता दी जाएगी राजधानी भोपाल को यहां भी जैसे ही ज़रूरी कार्रवाई पूरी हो जाएगी, दिसंबर में तारीक मिलते ही भूमिपूजन कर दिया जाएगा।बता दें कि, दोनों शहरों में प्रस्तावित मेट्रो ने केंद्र और वित्त मंत्रालय की हरी झंडी के बाद रफ्तार पकड़ी है। एमपी में सबसे पहले मेट्रो का सपना मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने देखा था।

 

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यह रूट हैं प्रस्तावित

बता दें कि, राजधानी भोपाल में मेट्रो के लिए दो रूट प्रस्तावित किए गए हैं। इनमें पहले रूट की लंबाई करीब 14.99 किमी प्रस्तावित है। इसकी लाइन करोंद चौराहे से साकेत नगर तक बिछाई जाएगी। इसकी एम्स से साकेत नगर तक 6.25 किमी की पहली लाइन बिछाई जाएगी.दूसरा ट्रैक भदभदा से रत्नागिरी तक 12.88 किमी का होगा। इस काम को शुरु करने के लिए सीएम शिवराज दिसंबर में भूमिपूजन करेंगे। इसमें पहले फेज़ का काम शुरु करने के लिए 277 करोड़ का टेंडर जारी किया गया है। सबसे पहले प्रस्तावित काम को एम्स से सुभाष नगर तक किया जाएगा इस रूट की लंबाई 6.25 कि.मी है।

चुनाव ने बढ़ाई प्रोजेक्ट की सरगर्मी!

बता दें कि, मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट का काम लेने वाली कंसल्टेंट कंपनी को कई अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है। मेट्रों लाइन के रास्ते आने वाला अतिक्रमण कंपनी के लिए सबसे बड़ी चुनौति है। इसी के चलते भोपाल और इंदौर में इस प्रोजेक्ट को ज़मीन पर आने में काफी दिक्कतें आ रही हैं। इसके अलावा, कैंन्द्र और राज्य सरकार कप्रस्तावित बजट पर हिस्सेदारी में भीबड़ा असमंजस बना हुआ था। दरअसल, प्रोजेक्ट में केंद्र का 20% और राज्य का 80% शेयर था। जब केंद्र सरकार ने लोन का गारंटर बनने से मना कर दिया तो प्रोजेक्ट रुक गया था। इसके बाद राज्य सरकार की कड़ी मशक्कत के बाद यूरोपियन डेवलपमेंट बैंक कर्ज़ देने के लिए तैयार हुआ, इसके बाद प्रस्तावित बजट इकट्ठा हो सका है। बता दें कि, मेट्रो के पहले फेज में ही सरकार पर लगभग 3200 करोड़ रुपए के कर्ज़ हो जाएगा।

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