कानून भी लागू करने जा रही
बारिश का मौसम खत्म होते ही इस योजना पर काम शुरु कर दिया जाएगा। सरकार के लिए राहत की बात ये भी है कि भारी बारिश के चलते प्रदेश के सभी बांध लबालब भर गए है। इनका पानी भी लोगों के घरों तक पहुंचाने में इस्तेमाल किया जाएगा। सरकार जल्द ही राइट टू वॉटर का कानून भी लागू करने जा रही है, इस कानून का मसौदा तैयार हो गया है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जल विशेषज्ञों से इस मसौदे के संबंध में राय मांगी है। उनकी राय आने के बाद इसको अंतिम रुप दिया जाएगा।
इन तीन विदेशी कंपनियों से कर्ज
समूह नल-जल योजना को पूरा करने के लिए सरकार की बात तीन विदेशी कंपनियों से हो गई है। ये कंपनियां प्रदेश को सस्ती दरों पर लोन उपलब्ध कराएंगी। जायका से साढ़े 4 करोड़ का एग्रीमेंट हो चुका है। इन साढ़े चार हजार करोड़ को खर्च कर सरकार ढाई हजार गांवों में नल-जल योजना के तहत पानी पहुंचाएगी। जायका के अलावा सरकार एशियन डेवलपमेंट बैंक यानी एडीबी और न्यू डेवलपमेंट बैंक यानी एनडीबी से भी इस तरह का करारनामा होने वाला है।
अविरल धारा,निर्मल धारा,स्वच्छ किनारा
पानी की पर्याप्त उपलब्धता के लिए सरकार नदियों का कायाकल्प भी करने जा रही है। जनता की भागीदारी से अविरल धारा, निर्मल धारा और स्वच्छ किनारा अभियान शुरु करने जा रही है। अविरल धारा के तहत ये प्रयास किए जाएंगे कि नदियों में साल भर पानी की धारा बहती रहे। निर्मल धारा यानी नदियां प्रदूषित न हों, औद्योगिक प्रदूषण के साथ-साथ मानव प्रदूषण से भी उनको बचाया जा सके। स्वच्छ किनारा के तहत नदी के साथ ही उसके किनारों को भी स्वच्छ और ईको फ्रेंडली बनाया जाएगा।
नहीं होगा पानी का निजीकरण
सरकार कानून में स्पष्ट करने जा रही है कि पानी का निजीकरण नहीं किया जाएगा। यदि कभी निजी एजेंसी को इसका काम भी सौंपा गया तो सारे अधिकार और नियंत्रण सरकार के पास ही रहेगा। स्वच्छ पानी के अधिकार को सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी तब भी सरकार की रहेगी जब जल सेवा का प्रावधान निजी एजेंसी को सौंपा जाएगा। निजी एजेंसी का कोई भी प्रतिनिधि कभी भी इसका निजीकरण नहीं कर सकेगा। भारतीय मानक ब्यूरो के अनुसार पानी की आपूर्ति की जाएगी। पानी प्रदाय करने वाली हर एजेंसी को मानक स्तर का पानी ही सप्लाई करना होगा।