scriptमध्यप्रदेश में अब जनता नहीं पार्षद ही चुनेंगे महापौर, राज्यपाल ने दी अध्यादेश को मंजूरी | Governor approved ordinance related to indirect election of Mayor | Patrika News

मध्यप्रदेश में अब जनता नहीं पार्षद ही चुनेंगे महापौर, राज्यपाल ने दी अध्यादेश को मंजूरी

locationभोपालPublished: Oct 08, 2019 12:13:28 pm

Submitted by:

Manish Gite

election news- मध्यप्रदेश में अब जनता सीधे महापौर को नहीं चुन पाएगी। राज्यपाल ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इधर, विपक्ष पहले ही इसका विरोध कर रही है।

bhopal_1.jpg

भोपाल। मध्यप्रदेश में अब जनता सीधे महापौर ( election of Mayor ) को नहीं चुन पाएगी। राज्यपाल ने मंगलवार सुबह महापौर निर्वाचन अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान एवं उमा भारती भी इस अध्यादेश का विरोध कर चुके हैं, लेकिन उनका विरोध भी काम नहीं आया और राज्यपाल ने मुख्यमंत्री कमलनाथ का साथ देते हुए अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिए।

उधर, भोपाल नगर निगम का भी बंटवारा करने का मसौदा कलेक्टर ने जारी कर दिया। भोपाल नगर निगम को दो भागों में बांटने की तैयारी की जा रही है।

मध्यप्रदेश में पिछले कुछ दिनों से चल रहा नगर निकाय चुनाव पर विपक्ष का विरोध काम नहीं आया। मंगलवार को सुबह राज्यपाल लालजी टंडन ( governor of madhya pradesh 2019 ) ने राज्य सरकार के अध्यादेश को मंजूरी दे दी। अब मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव में महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से न होकर अप्रत्यक्ष रूप से होगा। यानी पहले जनता पार्षद के साथ ही महापौर का भी चयन करती थी। नए अध्यादेश के तहत अब जनता पार्षद को चुनेगी और पार्षद ही अपनी पसंद का महापौर चुनेंगे।

राज्यपाल से मिलकर लौटे शिवराज सिंह चौहान, कमलनाथ सरकार पर साधा निशाना

 

भोपाल का होगा बंटवारा
इधर, भोपाल कलेक्टर ने नगर निगम को दो भागों में बांटने का प्रस्ताव भी जारी कर दिया गया है। इसके बाद भोपाल में अब दो नगर निगम बन जाएंगे। इसमें भोपाल ईस्ट और भोपाल वेस्ट नाम से दो नगर निगम बनाए जाने की तैयारी की जा रही है।

 

महापौर ने किया विरोध
भोपाल के महापौर आलोक शर्मा ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि यह सरकार जनता को बांट रही है। यह लोकतंत्र की हत्या है। उन्होंने कहा कि हम इसका विरोध करेंगे।

 

शिवराज, उमा के बाद कमलनाथ भी मिले थे राज्यपाल से
इससे पहले, महापौर के चुनाव पार्षदों से कराए जाने संबंधी अध्यादेश पर सोमवार को बात बनते-बनते फिर बिगड़ती दिखी। सुबह भाजपा के दो पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व उमा भारती ने राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात कर अध्यादेश का विरोध करते हुए इसे रोकने का आग्रह किया। उधर, कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा के ट्वीट पर राज्यपाल उखड़ गए। राजभवन ने अध्यादेश को हरी झंडी नहीं दी। इसकी जानकारी के बाद देर शाम उन्हें मनाने मुख्यमंत्री कमलनाथ राजभवन पहुंचे। मुख्यमंत्री ने अध्यादेश के बारे में सरकार का पक्ष रखा। साथ ही कहा कि तन्खा का बयान उनकी निजी राय है। इसे सरकार का मत नहीं माना जाए।

 

 

कांग्रेस को हार का डर : शिवराज
राज्यपाल से मुलाकात के बाद शिवराज ने कहा, लोकतंत्र की आत्मा प्रत्यक्ष चुनाव है। कांग्रेस सरकार हार के डर से इससे बच रही है। कांग्रेस का मकसद जिोड़तोड़ की राजनीति करना है। ये बाहुबल-धनबल का उपयोग करके नगरीय निकायों में जनादेश अपहरण की कोशिश करेंगे। कमलनाथ को अध्यादेश वापस लेना चाहिए। जिला और जनपद पंचायत अध्यक्ष चुनाव भी प्रत्यक्ष प्रणाली से कराना चाहिए। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, राज्यपाल अध्यादेश को मंजूरी दें।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो