विधानसभा में बहुमत साबित करने कहा था
सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट पर 68 पन्ने का विस्तृत आदेश पारित किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 19 मार्च को अंतरिम आदेश में CM कमलनाथ को अगले दिन विधानसभा में बहुमत साबित करने कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हालात के मुताबिक मध्यप्रदेश के राज्यपाल का फैसला सही था। हमने संवैधानिक पहलुओं और राज्यपाल के अधिकारों पर चर्चा की है।
फ्लोर टेस्ट के लिए नहीं कह सकते
सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता कमलनाथ और मध्य प्रदेश की कांग्रेस की उस दलील को भी खारिज कर दी जिसमें उनका कहना कि राज्यपाल चल रही विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के लिए नहीं कह सकते।सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा है कि राज्यपाल को सीएम को बहुमत दिखाने के लिए कहने में कोई बाधा नहीं है अगर उनके पास ऐसा करने के लिए अच्छे कारण हैं तो। राज्यपाल इस शक्ति का प्रयोग चल रही विधानसभा में भी कर सकते हैं।
ये है मामला
कमलनाथ सरकार के 22 विधायक ने अपना इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद कमलनाथ सरकार संकट में आ गई। कमलाथ सरकार के 22 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद भाजपा ने राज्यपाल से फ्लोर टेस्ट करवाना का अनुरोध किया। जिसके बाद राज्यपाल ने कमलनाथ सरकार से टेस्ट करवाने की बात कही। इसके बाद कमलनाथ सरकार ने बिना फ्लोर टेस्ट करवाए विधानसभा की कार्रवाई स्थागित कर दी। बाद में भाजपा ने राज्यपाल से फ्लोर टेस्ट करवाने की मांग की। राज्यपाल ने फिर दोबारा कमलनाथ सरकार को फ्लोर टेस्ट के लिए चिठ्ठी लिखी थी, जिसके बाद कमलनाथ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट चली गई थी।
मध्य प्रदेश में सरकार गठन का मामला
SC ने फैसला देते हुए कहा कि मामले के तथ्यों में राज्यपाल फ्लोर टेस्ट का आदेश देने में सही थे। कोर्ट ने अभिषेक मनु सिंघवी के इस तर्क को मंजूर नहीं किया कि राज्यपाल आदेश पारित नहीं कर सकते। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल स्वयं कोई निर्णय नहीं ले रहे हैं। राज्यपाल एक फ्लोर टेस्ट बुला रहे हैं। सदन में दो तौर-तरीके होते हैं- अविश्वास प्रस्ताव या फ्लोर टेस्ट फ्लोर टेस्ट क्यों जरूरी है, इस पर एसआर बोम्मई मामले के बाद से कोई फैसला नहीं हुआ है। इसमें राज्यपाल ने अनुच्छेद 356 के तहत शक्ति का प्रयोग किया है।बोम्मई ने दिखाया है कि विश्वास मत को एक विधानसभा में रखा जा सकता है। इसमें संवैधानिक कानून और राज्यपाल की शक्तियों पर एक विस्तृत निर्णय दिया है
शाम पांच बजे फ्लोर टेस्ट कराया जाए
मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट विस्तृत ने आदेश जारी किया है हालांकि इससे पहले ही कमलनाथ सरकार गिर गई थी और बीजेपी ने सरकार बना ली थी। हालांकि 19 मार्च को अंतरिम आदेश जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि 20 मार्च को शाम पांच बजे फ्लोर टेस्ट कराया जाए।
अर्जी दाखिल कर फ्लोर टेस्ट कराने की मांग
शिवराज सिंह चौहान सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की थी और कहा था कि 22 विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है और सरकार अल्पमत में है लिहाजा फ्लोर टेस्ट कराया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश के स्पीकर को सुझाव दिया है कि क्या वह बागी एमएलए से विडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बात करेंगे। कोर्ट इसके लिए एक ऑब्जर्वर नियुक्त कर सकता है। हालांकि स्पीकर की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने इस सुझाव को खारिज कर दिया।
वोटिंग होगी वह हाथ उठाकर होगी
दो दिन की लंबी सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने फैसला दिया था कि विधानसभा में 20 मार्च को शाम के वक्त फ्लोर टेस्ट कराया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा था कि मीटिंग का एक सूत्री एजेंडा फ्लोर टेस्ट होगा। इसके लिए जो वोटिंग होगी वह हाथ उठाकर होगी।
डीजीपी को निर्देश दिया गया
विधानसभा की कार्यवाही की वीडियो रेकॉर्डिंग की जाएगी। संबंधित अथॉरिटी इस बात को सुनिश्चित करेगी कि फ्लोर टेस्ट के दौरान कानून व्यवस्था कायम रहेगी। राज्य के डीजीपी को निर्देश दिया गया था कि वह इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि बागी विधायकों को आने से न रोका जाए उन्हें पर्याप्त सुरक्षा दी जाए।