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राज्यपाल टंडन बोले, मिलावटी खाने की बीमारियों पर एंटीबॉयोटिक दवाएं भी बेअसर

locationभोपालPublished: Oct 12, 2019 10:15:26 pm

Submitted by:

harish divekar

आज जरुरत भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति की

मध्यप्रदेश के नये राज्यपाल आज लेंगे शपथ, राजभवन में यूपी, बिहार और मध्यप्रदेश के नेता पहुंचे

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आज के बदलते दौर में खान-पान की वस्तुओं में मिलावट के कारण लोगों को नई-नई घातक बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है।

राज्यपाल लालजी टंडन कहा कि हालात यह हो गए हैं कि एंटीबॉयोटिक दवाओं का प्रभाव भी लगातार कम होता जा रहा है, यह चिंता का विषय है।
राज्यपाल ने कहा कि आज हमें भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति को अपनाने की जरुरत है। यह पद्धति काफी समृद्ध रही है।

दूसरे देशों में इसे आधुनिक चिकित्सा पद्धति के रुप में विकसित किया जा रहा है।
राज्यपाल ने यह बात शनिवार को भोपाल के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंस इण्डिया के 59वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कही।

राज्यपाल ने चिकित्सा पद्धति में सुधार के साथ-साथ इंसान की जीवन-शैली में भी सुधार लाने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि ऐसा करके हम अपने देश को पूर्ण स्वस्थ राष्ट्र बना सकते हैं।

राज्यपाल ने चिकित्सकों से कहा कि चिकित्सकीय शोध कार्यों में प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति से सामंजस्य बनाते हुए आगे बढ़ें।
राज्यपाल ने चिकित्सा के क्षेत्र में शोधकर्ता डॉक्टर्स को बधाई देते हुए अपेक्षा की कि नये शोध कार्यों से मानव सेवा को गति मिलेगी।

राज्यपाल ने डॉक्टर्स से अपने प्रोफेशन को मिशन के रूप में जारी रखने का आग्रह किया।
लालजी टंडन ने दीक्षांत स्मारिका का विमोचन किया।

राज्यपाल ने इस मौके पर डॉ. पीके दवे को वर्ष 2017 और डॉ. प्रेमा रामचन्द्रन को वर्ष 2018 के लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया।
एम्स के निदेशक डॉ. सरमन सिंह ने बताया कि भोपाल एम्स अस्पताल की स्थापना वर्ष 2012 में की गई।

तब से यह संस्थान लगातार आम आदमी की सेवा में तत्पर है।

उन्होंने बताया कि एम्स अस्पताल में 960 बेड हैं और 155 फेकल्टी काम कर रही हैं।
यहाँ प्रतिदिन करीब डेढ़ हजार मरीजों को ओपीडी की सुविधा दी जा रही है।

नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंस की अध्यक्ष प्रो. सरोज चूरामणि गोपाल ने बताया कि देशभर के चिकित्सकों को एकेडमी के माध्यम से शोध की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।
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