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विधानसभा के दो बूथ की हकीकत, रेकॉर्ड मतों से जीत, समस्याओं पर नहीं ‘गौर’

locationभोपालPublished: Sep 13, 2018 08:24:22 am

Submitted by:

KRISHNAKANT SHUKLA

गोविंदपुरा विधानसभा के दो बूथ की हकीकत, रेकॉर्ड मतों से जीत, समस्याओं पर नहीं ‘गौर’

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विधानसभा के दो बूथ की हकीकत, रेकॉर्ड मतों से जीत, समस्याओं पर नहीं ‘गौर’

भोपाल. गोविंदपुरा सीट पर बाबूलाल गौर रेकॉर्ड 10 बार चुनाव जीते, लेकिन जमीनी हकीकत निराश करती है। 2013 के चुनाव में बूथ क्रमांक 3 में उन्हें एकतरफा वोट मिले थे, इसके बावजूद भानपुर खंती की शिफ्टिंग का ही वादा पूरा हुआ है। बुनियादी सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। इसी सीट के बूथ क्रमांक 84 के मतदाताओं ने उनपर भरोसा नहीं जताया।

कांग्रेस के गोविंद गोयल सारे वोट समेट ले गए थे। वोट नहीं तो काम नहीं की तर्ज पर यहां विधायक ने ध्यान नहीं दिया। पत्रिका के ग्राउंड रियल्टी चेक में मतदाताओं ने भेदभाव का मुद्दा उठाया। विकास कार्य न होने की पीड़ा लोगों में साफ दिखी। नाराजगी इस बात को लेकर रही कि चुनाव के दौरान किए गए वादे पांच साल बाद भी पूरे नहीं हुए।

क्षेत्र में झुग्गी-झोपड़ी की है भरमार
भाजपा: बूथ क्र. 3

केन्द्र: प्राथमिक शाला शबरी नगर
2013 में भाजपा को मिले मत: 667
कुल पड़े वोट: 738

भानपुर चौराहा और सेमराकला के बीच इस बूथ के आसपास झोपड़ी का इलाका नजर आता है, यहां के 50 फीसदी मतदाता पिछड़ी जाति से हैं। जो भाजपा के परंपरागत वोटर हैं, 2013 में 738 में से 667 वोट बाबूलाल गौर को मिले थे। कांग्रेस दहाई के अंक में सिमट गई थी। आसपास मॉल, बड़े अस्पताल, शोरूम शहरीकरण का आभास कराते हैं लेकिन इलाके की ज्यादातर आबादी भोपाल मेमोरियल अस्पताल और भानपुर बजरिया पर आश्रित है। जल निकासी का उचित प्रबंध नहीं होने से हर साल बस्तियों में पानी भर जाता है।

मेरे कार्यकाल में भानपुर खंती को शिफ्ट करने का प्रस्ताव बना और इस पर अमल भी हुआ। संपूर्ण विधानसभा क्षेत्र में लगातार दौरे करते हैं और लोगों से सतत संपर्क बना हुआ है।
बाबूलाल गौर, पूर्व सीएम, विधायक, गोविंदपुरा

विकास पर विधायक ने फेर लिया मुंह
कांग्रेस: बूथ क्र. 84
केन्द्र: पिपलानी बोनीफाई कॉलेज
2013 में कांग्रेस को मिले मत: 635
कुल पड़े वोट: 685
पिपलानी बोनीफाई कॉलेज बूथ का क्षेत्र पिपलानी पेट्रोल पंप के आस-पास फैला है। 2013 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी गोविंद गोयल को 635 वोट प्राप्त हुए थे, बाबूलाल गौर को मात्र 46 मतों से संतोष करना पड़ा था। कांग्रेस को बड़े समर्थन का असर यह हुआ कि विधायक ने वार्ड से मुंह फेर लिया। बाबूलाल गौर लंबे समय से गोविंदपुरा का नेतृत्व कर रहे हैं, इसके बावजूद वे अपने पक्ष में मतदान करने का भरोसा लोगों में नहीं बना पाए। वार्ड में निजी कॉलोनियों की भरमार है।

लेकिन अविकसित होने के कारण नगर निगम को हैंडओवर नहीं हो पा रही हैं। नियमितीकरण पर निर्णय नहीं होने से नर्मदा पाइप लाइन का पानी भी नहीं पहुंच पाया। दूसरी बड़ी समस्या कॉलोनियों में बरसात का पानी भरने की है। ठीक से जल निकासी नहीं होने से यहां का हर नागरिक परेशान है।

जिस बूथ से ज्यादा वोट मिले वहां के लोगों ने मुझ पर भरोसा जताया। जहां कम वोट मिले वहां मुझे पार्टी कार्यकर्ताओं ने सहयोग किया, पर खुद को बड़े नेता मानने वालों का सहयोग नहीं मिला।
गोविंद गोयल,
कांग्रेस प्रत्याशी, गोविंदपुरा
बाबूलाल गौर, पूर्व सीएम, विधायक, गोविंदपुरा

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