बैठक में दिए थे आदेश-
पिछले दिनों कमलनाथ ने पुलिस मुख्यालय में अफसरों की बैठक में ही उनके साप्ताहिक अवकाश को लेकर जल्द तैयारी की बात कह दी थी। वहीं इस दौरान उन्होंने साफ किया कि हर हाल में पुलिस की छवि बदलनी होगी।
गांव, देहात और कस्बों में जाओ तो लोग कहते हैं कि पुलिस के संरक्षण में शराब दुकानें खुलती हैं। सट्टे और ड्रग्स का कारोबार हो रहा है। यह सब बदलना होगा।
मध्यप्रदेश को पंजाब नहीं बनने देंगे। ड्रग्स पर अंकुश लगाने के लिए कानून बनाया जाएगा। सीएम ने कहा,परिवर्तन होते रहते हैं, लेकिन संस्था पर फर्क नहीं पडऩा चाहिए। कमलनाथ ने डीजीपी ऋषि कुमार शुक्ला से वचन पत्र पर अमल के बारे में सवाल किया तो..
उन्होंने बताया कि नए साल से पुलिसकर्मियों को साप्ताहिक अवकाश देना शुरू कर देंगे। हालांकि डीजीपी ने बल कम होने की बात भी कही। एडीजी पवन जैन ने बताया कि औसत के अनुसार कुल प्रति लाख की आबादी पर 193 पुलिस बल होना चाहिए, प्रदेश में प्रति लाख पर 139 का बल है।
इससे पहले भी मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में पीसीसी चीफ कमलनाथ ने एमपी के सवा लाख पुलिसकर्मियों को साधने का प्रयास किया था। उस समय पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ ने चुनाव प्रचार के दौरान पुलिसकर्मियों के लिए बड़ी घोषणा करते हुए कहा था कि सरकार आने पर प्रदेश के पुलिस कर्मियों को साप्ताहिक अवकाश मिलेगा।
बता दें कि पहले भी शिवराज सरकार ने इस मुद्दे को साधने में लगे थे। लेकिन सरकार इस पर अमलीजामा नहीं पहना सकी थी। साप्ताहिक अवकाश पिछले साल ट्रायल के तौर पर मध्यप्रदेश के भोपाल और सीहोर में शुरू हुआ था, लेकिन शुरू होने से पहले ही साप्ताहिक अवकाश नियम का दम घुट गया।