मुख्यमंत्री ने सभी निकायों को निर्देश दिए हैं कि वे झुग्गीवासियों के नाम-पते के साथ डाटा तैयार कराएं, जिससे उनके नाम पर जमीन की रजिस्ट्री की जा सके।
इसके बाद सरकार उक्त जमीन पर मकान बनाने के लिए मदद भी देगी। कांग्रेस ने हर झुग्गीवासी को ढाई लाख रुपए देने का वादा वचन पत्र में किया था। सरकार ने इसे पूरा करने की तैयारी की है।इधर,बजट सत्र आज से: दो फीसदी डीए की मिल सकती है सौगात
विधानसभा में कमलनाथ सरकार का पहला बजट सत्र सोमवार से शुरू होगा। इसमें सरकार अपना लेखानुदान पेश करेगी। इस सत्र में कर्जमाफी सहित अन्य वचन और कर्मचारियों के लिए दो फीसदी डीए के प्रावधान प्रमुखता से रहेंगे।
पुलवामा आतंकी हमले में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देकर सोमवार को सदन स्थगित भी हो सकता है। मुख्यमंत्री कमलनाथ और विपक्षी दल के स्तर पर इस पर विचार हो रहा है। यदि ऐसा होता है तो लेखानुदान बजट बुधवार को पेश होगा।
अरेरा समेत पांच क्षेत्रों में इंडोर बिजली सब स्टेशन:-
वहीं दूसरी ओर राजधानी में बिजली कंपनी बेहतर आपूर्ति के लिए गैस इंसुलेटेड सब स्टेशन (जीआइएस) तकनीक से इंडोर सब स्टेशन विकसित करने की योजना बना रही है। भोपाल सिटी सर्कल ने कोतवाली क्षेत्र के बाद अब अरेरा कॉलोनी समेत पांच अन्य क्षेत्रों को चुना है।
खास बात यह है कि महज 100 वर्गमीटर में जमीन के अंदर व कुछ बाहर इंडोर सब स्टेशन विकसित हो जाते हैं। डायइलेक्ट्रिक गैस से इलेक्ट्रिसिटी प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर इलेक्ट्रिसिटी को आगे बढ़ाते हैं।
हाइटेंशन लाइन विंग उप महाप्रबंधक एन. शिराज का कहना है कि अरेरा कॉलोनी में दो से तीन माह में काम शुरू होगा। पुराने शहर के घनी आबादी वाले क्षेत्रों में भी इन्हें बनाएंगे। चार अन्य जगह तय होनी हैं।
कोतवाली क्षेत्र के इंडोर सब स्टेशन का 80 फीसदी काम हो गया है। जमीन में पैनल स्थापित करना है, जिसके बाद सब स्टेशन काम करना शुरू कर देगा।
ऐसे मिलेगा लाभ
33 केवी करंट को 11केवी में बदलकर बिजली आपूर्ति के लिए शहरी लाइन में छोडऩे के दौरान सब स्टेशन फेल होने और फॉल्ट की स्थिति से मुक्ति मिलेगी। अब घनी आबादी वाले संकरे क्षेत्रों में 100 वर्गमीटर यानी एक हजार वर्गफीट की जगह पर सब स्टेशन विकसित हो जाएगा। इसके पूरी तरह से पैक होने की वजह से किसी तरह का खतरा भी नहीं होगा।
अभी यह है स्थिति
अभी सब स्टेशन के लिए कम से कम 10 हजार वर्गफीट की जगह चाहिए। ये पूरी तरह खुला रहता है, इसलिए आबादी से थोड़ा दूर बनाया जाता है। यहां कोई प्रवेश न करे, इसका ध्यान रखना पड़ता है। बारिश के दौरान इस पर बिजली गिरने की आशंका अधिक रहती है।