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सपाक्स आंदोलन में याद आया पिछड़ा वर्ग

locationभोपालPublished: Sep 07, 2018 08:56:37 am

Submitted by:

harish divekar

25 सालों से फाइलों में बंद आयोग की सिफारिशों की खंगाली जा रही फाइलें

sapaks samaz

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भोपाल। प्रदेश में एट्रोसिटी एक्ट के विरोध में सपाक्स आंदोलन ने सरकार की बैचेनी बढा दी है; सपाक्स संगठन में सामान्य वर्ग, अल्पसंख्य और पिछडा वर्ग शामिल है; प्रदेश में पिछडे वर्ग की जनसंख्या ज्यादा होने पर सरकार अब इन्हें किसी तरह से मनाने में लग गई है; यही वजह है कि 25 सालों से पफाइलो में बंद पिछडा वर्ग आयोग की सिफारिशों को खंगाला जा रहा है; संभावना जताई जा रही है कि चुनाव से पहले पिछडा वर्ग को लेकर सरकार कुछ बडी घोषणाएं कर सकती है;
विधानसभा समिति भी जता चुकी है नाराजगी
राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सालाना प्रतिवेदनों की सिफारिशों पर सालों से अमल न करने पर, मप्र विधानसभा की समिति नाराजगी जाहिर कर चुकी है; समिति ने सभी विधायकों से आयोग के सिफारिशों पर एक्शन टेकन रिपोर्ट तत्काल मांगी है; समिति ने आयोग के प्रतिवेदनों को 11 वर्ष बाद विधानसभा पटल पर रखे जाने पर भी नाराजगी जताई है;
थेटे दे चुके हैं सफाई
विधानसभा समिति की नाराजगी के बाद थेटे लिखित में समिति को सपफाई दे चुके हैं; उन्होंने आश्वासन दिया है कि भविष्य में इस तरह की लापरवाही नहीं की जाएगी; थेटे ने समिति से यह भी कहा कि वे एक साल पहले ही विभाग में आए हैं ऐसे में पिछले सालों के लंबित प्रतिवेदन की जानकारी उन्हें नहीं थी; उन्होंने बताया कि कैबिनेट कमेटी का कार्यकाल पूरा होने पर उसका पुनर्गठन न होने से यह प्रस्ताव 2017—18 में नहीं जा पाया; हमारा प्रस्ताव तैयार है, कैबिनेट कमेटी की मंजूरी के बाद इसे विधानसभा के पटल पर पेश कर दिया जाएगा;
इनका कहना है :

हमारा प्रस्ताव तैयार है कैबिनेट कमेटी की मंजूरी के बाद पिछड़ा वर्ग के आयोग का प्रतिवेदन विधानसभा भेजा जायेगा;यह बात सही है कि पिछले 11 सालों से प्रतिवेदन विधानसभा पटल में नहीं रखा गया है; मैं एक साल पहले ही विभाग में आया हूं; विधानसभा के अगले सत्र में इसे टेबल कर दिया जाएगा;
– रमेश थेटे, सचिव पिछड़ा वर्ग विभाग मप्र

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