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कब्रों पर कब्जा, पता ही नहीं चल रहा कहां दफन हैं अपने

locationभोपालPublished: May 05, 2018 02:36:41 pm

कब्रिस्तान बाकी ही नहीं रहे. शहर में करीब १८० कब्रिस्तान थे। एक-एक कर करीब डेढ़ सौ कब्रिस्तान खत्म हो चुके हैं। करीब ३० ही अब बाकी बचे हैं।

Tota Maina Kabra
भोपाल. मेरे दादा के भाई को इंतकाल के बाद गंज शहीदा कब्रिस्तान में दफनाया गया था, लेकिन अब इस कब्रिस्तान में कोई कब्र बाकी नहीं। पता ही नहीं चल रहा रिश्तेदार कहां दफन हैं। कहीं दुकानें बन गईं तो कहीं गाडिय़ां खड़ी हैं। सड़क पर खड़े होकर ही फातिहा पढ़कर लौट जाते हैं। ये कहना है लक्ष्मी टॉकीज के पास रहने वाले मोहम्मद फइम का। कबाड़ खाना निवासी मिर्जा कमर के रिश्तेदार मुल्कन बी कब्रिस्तान में दफन हैं, लेकिन अब उनकी कब्रों का नामोनिशान नहीं बचा। यहां मिर्जा परिवार के कई लोगों की
कब्र थीं।
ऐसे एक दो मामले नहीं बल्कि कई परिवार हैं जिनके परिजनों की कब्र लापता हो गई। वे कब्रिस्तान बाकी ही नहीं रहे जहां उनके पूर्वज और सगे संबंधियों को दफन किया गया था। जानकारी के अनुसार पहले शहर में करीब १८० कब्रिस्तान थे। इनके आसपास पहले बसाहट हुई फिर कब्जे हो गए। एक-एक कर करीब डेढ़ सौ कब्रिस्तान खत्म हो चुके हैं। करीब ३० ही अब बाकी बचे हैं।
कहीं आशियाने तो कहीं सरकारी विभागों का कब्जा
शहर में कुछ कब्रिस्तान ऐसे हैं जिन पर सरकारी विभागों के दफ्तर हैं। इनमें पीएचक्यू, पुलिस कंट्रोल रूम शामिल हैं। मामले में वक्फ बोर्ड ने पहले नोटिस भी जारी किए थे। लांबाखेड़ा में कब्रिस्तान पर कॉलेज बन गया। शाहजहांनाबाद में पीडब्ल्यूडी का दफ्तर है। कुछ स्थानों पर ये निगम के कब्जे में भी हैं। शहर के आसपास कुछ कब्रिस्तानों पर कॉलोनी भी बन चुकी हैं।
शब-ए-बारात कल, दुनिया से जा चुके अपनों को करेंगे याद
दुनिया से जा चुके अपनों को याद करने कल कब्रिस्तानों में जमावड़ा लगेगा। कब्रों पर पहुंच दरूद और फातिहा पढ़ी जाएगी। भोपाल टॉकीज के पास बड़ा बाग कब्रिस्तान सहित शहर के सभी कब्रिस्तानों में नगर निगम के जरिए साफ सफाई से लेकर रोशनी के इंतजाम कराए गए हैं। पूरी रात इनमें लोगों की आवाजाही रहेगी। जिसके चलते ये इंतजाम किए हुए हैं।
नहीं बची जगह
राजधानी के प्राचीन कब्रिस्तानों में बड़ा बाग, मुल्कनबी, गंजशहीदा शामिल हैं। बड़ा बाग में कब्रों की संख्या अधिक होने से यहां दफन के लिए जगह बहुत कम बची है। इसका अधिकांश हिस्सा भर चुका है।
शहर के करीब ८० फीसदी कब्रिस्तान खत्म हो गए। इन पर कब्जे हो चके हैं, कहीं चारों ओर कॉलोनी बनने से इन पर कबाड़ का ढेर लगा दिया गया। कब्रों का तो नामोनिशान तक बाकी नहीं रहा। इन्हें बचाने के लिए कई बार वक्फ बोर्ड, नगर निगम को ज्ञापन दे चुके हैं। समिति अपने स्तर पर भी इस काम को कर रही हैं। ध्यान न दिया गया बचे बीस फीसदी भी खत्म हो जाएंगे।
इमरान हारून, कब्रिस्तान बचाओ संघर्ष समिति

कब्रिस्तानों से अतिक्रमण हटाने को लेकर बोर्ड तैयारी कर रहा है। इस संबंध में कुछ समय पहले कार्रवाई की जा चुकी है। जिन लोगों के इन पर अतिक्रमण हैं उन्हें चिन्हित कर नोटिस भेजने की कार्रवाई बोर्ड करेगा।
– शौकत मोहम्मद खान, अध्यक्ष, मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड
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