इससे मूल रकम 5-6 गुना तब बढ़ जाती है। बोर्ड हर साल ब्याज के रूप में करोड़ों रुपए आवंटियों से वसूलता है। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने आदेश में कहा है कि मध्यप्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल अफोर्डेबल आवास देने के लिए है। ऐसे में दंड ब्याज या कम्पाउंडिंग इन्ट्रेस्ट लगाना न्यायसंगत नहीं है। विभाग ने अपने आदेश में कहा कि बोर्ड डीएस माथुर के केस में जो कार्रवाई करेगी, वह सभी के लिए लागू होगी।
क्या है माथुर का प्रकरण
माथुर ने हाउसिंग बोर्ड से अरेरा हिल्स स्थित ग्रीन मैड्रोज में मकान लिया था। वह लीज रेंट एकमुश्त जमा कर जमीन फ्री होल्ड कराना चाह रहे थे। जबकि, बोर्ड जिस खसरा नम्बर पर ग्रीन मैड्रोज बता रहा था, वह नम्बर राजस्व के रेकार्ड में किसी दूसरे क्षेत्र में आ रहा था। इसके चलते राजस्व और हाउसिंग बोर्ड के बीच पत्राचार होता रहा। इस बीच माथुर प्रीमियम जमा करना भूल गए। हाउसिंग बोर्ड ने बाद में उन पर चक्रवृद्धि ब्याज सहित 2.50 लाख रुपए का लीज रेंट निकाल दिया गया। उन्होंने इस संबंध में शासन से अपील की थी। इस पर शासन ने दंड ब्याज माफ करने का निर्णय किया। इसके चलते राजस्व और हाउसिंग बोर्ड के बीच पत्राचार होता रहा।