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दो करोड़ रुपए में ब्लू एंड ग्रीन मास्टर प्लान बनवाए दो साल बीते, अब तक कागजों में ही

locationभोपालPublished: Jan 23, 2020 06:00:26 pm

दो करोड़ रुपए में ब्लू एंड ग्रीन मास्टर प्लान बनवाए दो साल बीते, अब तक कागजों में ही

दो करोड़ रुपए में ब्लू एंड ग्रीन मास्टर प्लान बनवाए दो साल बीते, अब तक कागजों में ही

दो करोड़ रुपए में ब्लू एंड ग्रीन मास्टर प्लान बनवाए दो साल बीते, अब तक कागजों में ही

भोपाल।
स्मार्टसिटी द्वारा दो करोड़ रुपए की राशि खर्च कर बनाए गए ग्रीन एंड ब्लू मास्टर प्लान को दो साल बाद भी जमीन पर उतारने की कवायद शुरू नहीं हुई। ये प्लान ईमानदारी से लागू हो तो शहर में 100 ग्रीन बिल्डिंग के साथ ही ग्रीन एनर्जी-बायोमॉस से बसों का संचालन, सीवेज ट्रीटमेंट और लोगों को राहत देने वाले मोबाइल एप काम करना शुरू कर देते। गौरतलब है कि केपीएमजी एजेंसी के माध्यम से इसका प्लान तैयार कराया था। इसमें भी 90 लाख रुपए में काम लेने वाली एजेंसी की बजाय 1.80 करोड़ रुपए में काम करने वाली को ठेका दिया गया। बाद में राशि और बढ़ गई। 2018 में प्लान तैयार हो गया, लेकिन अब 2020 तक काम कुछ नहीं हो पाया।
ये होता तो शहर की बदलती तस्वीर

– बिल्डर्स, डिजाइनर, आर्किटेक्ट्स और कुशल मजदूरों को विशेषज्ञों द्वारा तैयार करना था, ताकि ग्रीन बिल्डिंग की अवधारणा लागू हो सके।
– शहर में ग्रीन बिल्डिंग सामग्री जैसे सौर पैनल और इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी को प्रमाणित करने ग्रीन लैब तैयार करना था।
– बिल्डिंग की ऊर्जा आवश्यकताओं को मॉनिटर और नियंत्रित करने के लिए बिल्डिंग एनर्जी मैनेजमेंट सिस्टम विकसित।
– भोपाल नगर निगम क्षेत्र में चयनित 33 कम कार्यक्षमता वाले पंपों की कार्यक्षमता बढ़ाना। इसमें राजाजी का कुआं पपिंग स्टेशन, ईदगाह डब्ल्यूटीपी, बैरागढ़ डब्ल्यूटीपी, याट क्लब, बैरागढ़ रॉ वाटर, कमला पार्क और फ तेहगढ़ में बादल महल शामिल है।
– बीएमसी के पार्कों और उद्यानों में स्ट्रीट लाइट के साथ सौर पैनल को लगाना।
– सौलर रूफ टॉप सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए सौर एप विकसित करके लोगों पर पहुंचाना।

– वृक्षों के बागान विकसित करके पानी के बहाव को नियंत्रित करना, ताकि शहरी इलाकों में बाढ़ को कम किया जा सके।
– इसके लिए पहले चरण में कलियासोत, जहांगीराबाद, लहारपुर, लहारपुर नाला, हताईखेड़ा, अपर लेक और पतरा नाला तक कुल 10.6 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र लिया था।
– 153.02 किमी के ग्रीन कॉरिडोर- ग्रीन- वे का आर्टीरियल नेटवर्क का काम शुरू करना था। इसके तहत कालियासोत नहर कॉरिडोर, जहांगीराबाद कॉरिडोर और मोतिया तालाब, बड़ाबाग क्षेत्र में फु टपाथ, साइकिल ट्रैक्स और पैदल यात्री क्रॉस ओवर विकसित करना था।
– 50 बसों का परिचालन बायोगैस का उपयोग करना। बायोगैस 7 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स, 55 एमएलडी से उत्पादित करना थी।
– आकृति इको सिटी, मिसरोद वार्ड, चिनार फाच्र्यून सिटी, मिनाक्षी प्लेनेट सिटी, बाग मुगालिया वार्ड पेबल वे में डिसेंट्रलाइज्ड वेस्ट वाटर मैनेजमेंट सिस्टम विकसित करके सीवेज का वही उपचार करना।
– भोपाल में रूफ टॉप रेन वॉटर हार्वेस्टिंग को बढ़ावा देने के लिए इंटरैक्टिव ऐप तैयार करना था।
2036 तक भोपाल में 100 ग्रीन बिल्डिंग

योजना में 2036 तक मौजूदा बिल्डिंग स्टॉक्स के ग्रीन बिल्डिंग में चरणबद्ध परिवर्तन की परिकल्पना की गई है

फेज 1 में ऊर्जा सरंक्षण 2020- 2031 समय सीमा
फेज 2 में जल संरक्षण ये भी 2021- 2032 तक समय सीमा
फेज 3 में गृह व्यवस्था और जल प्रबंधन करना। इसके लिए भी 2022- 2033 तक।

इनका कहना

स्मार्टसिटी के काम की लगातार समीक्षा की जा रही है। प्रमुख सचिव के माध्यम से हर प्रोजेक्ट पर हमारी नजर है और सभी प्रोजेक्ट को बेहतर तरीके से आगे बढ़ाया जा रहा है। कहीं कमी है तो उसकी अतिरिक्त मॉनीटरिंग करेंगे।
– जयवद्र्धन सिंह, मंत्री शहरी आवास एवं विकास
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