ऐसे करें ग्रीन पटाखों की पहचान
दरअसल, ग्रीन पटाखों पर हरे रंग का एक स्टीकर और बारकोड लगा होता है। ये इस बात की पुष्टि करते हैं कि ये ग्रीन पटाखे ही हैं। यदि आप इन पटाखों के निर्माता और इनमें इस्तेमाल हुए केमिकल के बारे में जानना चाहते हैं तो इनके ऊपर लगे बारकोड को मोबाइल से स्कैन कर पूरी जानकारी ली जा सकती है।
ग्रीन पटाखों के दाम
साधारण तौर पर मिलने वाले पटाखों के मुकाबले ग्रीन पटाखे थोड़े महंगे होते हैं। यूं कहें तो इन पटाखों की कीमत साधारण पटाखों से दोगुनी होती है। भले ही ग्रीन पटाखे महंगे हैं लेकिन ये हमारे स्वास्थ्य से ज्यादा महंगे नहीं हो सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने किया था जिक्र
आपको बता दें कि पिछले साल दीपावली के मौके पर सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री से संबंधित एक फैसले के दौरान ग्रीन पटाखों का उल्लेख किया था। कोर्ट ने सलाह दी थी कि त्योहारों पर कम प्रदूषण करने वाले ग्रीन पटाखे ही बेचे और जलाए जाने चाहिए।
भोपाल में जांच पड़ताल तेज
सोमवार को नापतौल विभाग के अफसरों की टीम ने हलालपुरा में दीपावली के लिए सजे पटाखा बाजार में निरीक्षण किया। यहां अफसरों को पटाखों के पैकेट पर न तो पैकिंग की डेट मिली और न कस्टमर केयर नंबर। जबकि पैकेट पर नामचीन कंपनी का नाम लिखा था। इस पर हलालपुरा में ही पांच थोक पटाखा विक्रेताओं पर पैक्ड कम्यूनिटी 2011 के तहत प्रकरण दर्ज किए गए।
इस बार दीपावली पर राजधानी में 819 दुकानों पर पटाखों की बिक्री की जाएगी। इतने लाइसेंस कलेक्टोरेट और अन्य एसडीएम कार्यालयों से जारी किए हैं। पूर्व के 450 लाइसेंस इससे अलग हैं।