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उद्योगपतियों से हारी सरकार, आमजन की कटेगी जेब

locationभोपालPublished: Mar 04, 2018 09:26:58 am

निकायों के जरिए टैक्स वसूलने की तैयारी, इसी सत्र में पेश होगा विधेयक…

vallab bhawan
भोपाल. उद्योगपतियों से टैक्स वसूलने में हारी सरकार आमजन की जेब काटने की तैयारी कर रही है। इसके लिए विधानसभा के इसी सत्र में विधेयक लाया जाएगा। सरकार को उम्मीद है कि विधेयक के कानून बनने के बाद खजाने की माली हालत में सुधार आएगा।
राज्य की आय का सबसे बड़ा साधन टैक्स ही है। इसमें उद्योगपतियों सहित आमजन से मिलने वाला टैक्स भी शामिल है। सरकार आमजन से टैक्स वसूल लेती है, लेकिन व्यापारियों, उद्योगों और औद्योगिक घरानों में मामले में हाथ बंधे रहते हैं। विभिन्न प्रकार के टैक्स के साढे़ सात हजार करोड़ रुपए डूबत खाते में चले गए।
राज्य सरकार ने हाल ही में पेश किए गए बजट में स्वीकार किया है कि टैक्स के ७४९२ करोड़ ६१ लाख रुपए वसूले ही नहीं जा सके। ४४८२.६९ करोड़ रुपए विवादित और ३००९.९२ करोड़ रुपए अविवादित खाते में डाले गए हैं। अनुमान के मुताबिक राजस्व वसूली नहीं हो सकी। जीएसटी लागू होने के बाद खजाने को एक और झटका लगा। पेट्रोलयम पदार्थों पर छोड़कर राज्य पर टैक्स लगाए जाने के अधिकार छिनने के बाद सरकार आमजन से निकायों के जरिए टैक्स वसूलने की तैयारी में है।
सालदर साल बढ़ती गई रकम –
पिछले पांच वर्षों की डूबत खाते की रकम का ग्राफ बढ़ा है। पांच साल पहले यानी वर्ष २०१३-१४ में यह राशि १८८४.७६ करोड़ रुपए थी। एक साल बाद बढ़कर २५२९.६२ करोड़ रुपए हो गई। साल-दर साल बढ़ी यह राशि अब ७४९२.६१ करोड़ रुपए तक जा पहुंची।
निकायों को मिलेंगे मनोरंजन कर के अधिकार –
जीएसटी लागू होने के बाद राज्य को सिनेमाघरों, मल्टीप्लेक्स, केबल टीवी से मिलने वाला मनोरंजन कर बंद हो गया है। ऐसे में सरकार यह अधिकार नगरीय निकायों और पंचायतों को देने की तैयारी कर रही है। तैयार खाका के तहत निकाय मनोरंजन कर के रूप में अधिकतम २० प्रतिशत राशि वसूल सकेंगे। इसके लिए नगर पालिका विधि संशोधन विधेयक तैयार किया गया है।
तर्क दिया जा रहा है कि निकायों को टैक्स वसूलने के अधिकार मिलने से उनकी खराब होती आर्थिक सेहत में सुधार होगा। मनोरंजन कर जीएसटी के दायरे में आने से राज्य सरकार ने पिछले साल जुलाई माह से इसकी वसूली बंद कर दी थी, इससे सरकार को १० करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है। सरकार इसकी भरपाई की तैयारी में है। मालूम हो कि सिनेमाहाल में जीएसटी पहले से ही लग रहा है। यदि निकाय टैक्स वसूलती हैं तो यह दोहरा टैक्स होगा।
डूबत खाते में गया प्रमुख टैक्स –
– होटलों पर – १.९३ करोड़
– आय तथा व्यय पर कर – १.०३
– भू-राजस्व – ५०.५९
– स्टाम्प तथा रजिस्ट्रीकरण शुल्क – २७१.८१
– विक्रय, व्यापार आदि पर कर – २७९०.६५
– वाहनों पर कर – ७१६.७७
– माल तथा यात्रीकर प्रवेश कर – १५९४.९४
– विद्युत कर तथा शुल्क – २१७.४८
– वस्तुओं तथा सेवाओं पर अन्य कर तथा शुल्क – २६०.१३
निकायों की आर्थिक स्थिति सुधारने निकायों को मनोरंजन कर वसूलने के अधिकार दिए जा रहे हैं। नगर पालिका विधि संशोधन विधेयक विधानसभा में पेश होगा। कानून बनने के बाद निकाय टैक्स ले सकेंगे।
– माया सिंह, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री
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