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MP ELECTION 2018 : टिमरनी में कोई भी जीते परिवार में ही रहेगी सीट

locationभोपालPublished: Nov 23, 2018 03:12:43 pm

Submitted by:

KRISHNAKANT SHUKLA

इस बार दोनों उम्मीदवार मकड़ाई रियासत के हैं, ऐसे में मतदाता असमंजस में है। वे खुलकर तो कुछ नहीं बोलते, लेकिन चर्चा के दौरान उनका दर्द झलक ही आता है।

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MP ELECTION 2018 : टिमरनी में कोई भी जीते परिवार में ही रहेगी सीट

टिमरनी से डॉ. दीपेश अवस्थी की रिपोर्ट…

टिमरनी विधानसभा क्षेत्र में चाचा-भतीजे चुनाव मैदान में आमने-सामने हैं। भाजपा से संजय शाह और कांग्रेस से अभिजीत शाह मैदान में हैं। दोनों में कांटे की टक्कर है। संजय विधायक हैं। वे मंत्री विजय शाह और अजय शाह के सगे भाई हैं। अभिजीत अजय के पुत्र हैं। अब ये तो तय है कि चुनाव में कोई भी जीते विधायकी शाह परिवार के खाते में ही जाएगी।

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आदिवासी बाहुल्य इस आरक्षित सीट पर वैसे तो आठ प्रत्याशी मैदान में हैं। इनमें भाजपा, कांग्रेस के अलावा बसपा, सपा और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार भी शामिल हैं, लेकिन सीधा मुकाबला भाजपा-कांग्रेस प्रत्याशी में ही है। भाजपा और कांग्रेस ने मकड़ाई रियासत के वंशजों पर भरोसा किया है। शाह इसी रियासत के वंशज हैं। आदिवासी इस रियासत को अपना राजा मानते हैं, इसलिए चुनाव में इनकी ओर उनका झुकाव होता है।

इस बार भी ऐसा ही है। चूंकि इस बार दोनों उम्मीदवार एक इसी घराने के हैं, ऐसे में मतदाता असमंजस में है। वे खुलकर तो कुछ नहीं बोलते, लेकिन चर्चा के दौरान उनका दर्द झलक ही आता है। स्थानीय विधायक एवं भाजपा उम्मीदवार संजय शाह के मामले में नाराजगी भी है। नाराजगी का एक कारण यह भी है कि पिछले चुनाव में किए गए वादे पूरे नहीं हुए। रेलवे ओवरब्रिज की मांग वर्षों बाद भी पूरी नहीं हो सकी।

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क्षेत्र में हमारी मुलाकात यहां के आदिवासी किसान रमुआ से हुई। रमुआ ने बताया कि पिछले चुनाव में वादे किए थे कि किसानों की स्थिति में सुधार होगा। फसल के अच्छे दाम मिलेंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। पास ही बैठे रमेश ने इनकी बात आगे बढ़ाते हुए कहा भावांतर योजना को अच्छा बताया जा रहा है, लेकिन इसका कोई लाभ नहीं मिला। किसान और परेशान हो गया है। कर्ज में डूबा किसान क्या करे।

क्षेत्र के विकास के सवाल पर टका से जबाव मिला, जो स्थिति पहले थी आज भी वैसी ही है। यहां से हम सीधे क्षेत्र के एक मात्र बस स्टैंड पहुंचे। कहने को बस स्टैंड है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं। पेड़ के नीचे खड़े होकर यात्री बसों का इंतजार करते हैं। हरदा जाने के लिए बस का इंतजार कर रही 50 वर्षीय रामकली बताती है, चुनाव आ गए हैं, इस बार भी कहा जा रहा है कि बस स्टैण्ड बनवा दिया जाएगा। देखते हैं कि इस बार बस स्टैण्ड बन पाता है या नहीं।
मंत्री शाह की प्रतिष्ठा दावं पर
मंत्री विजय शाह के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल भी है। उनके छोटे भाई संजय ने अनुसूचित जाति वर्ग के आरक्षित इस सीट में पहली बार 2008 में निर्दलीय चुनाव जीते थे। वे 2013 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते। भाजपा ने फिर इन पर दावं आजमाया है। इनके भतीजे अभिजीत इन्हें कितनी टक्कर दे पाते हैं ये देखना रोचक होगा। यहां के वोटरों ने कभी कांग्रेस को कभी भाजपा प्रत्याशी को चुना है। चुनाव में सभी ने वादे किए, लेकिन वादे पूरे नहीं हो पाए। ऐसे में वोटरों का भरोसा डगमगा रहा है।
विकास कार्य की दम पर लोगों के बीच जा रहा हूं। क्षेत्र में सडक़ें आंगनबाड़ी बनवाई, बिजली विहीन गांवों में बिजली पहुंचाई। सरकारी योजनाओं का लोगों को लाभ पहुंचाया है।
संजय शाह, भाजपा प्रत्याशी

क्षेत्र की जनता बदलाव चाहती है। पिछले चुनाव में किए गए वादे पूरे नहीं हुए हैं। इसको लेकर यहां आंदोलन भी हुए। मैंने लोगों के साथ मिलकर समस्याओं के निराकरण की मांग की।
अभिजीत शाह, कांग्रेस प्रत्याशी

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