ऐसा ही हाल गोद लिए गए दूसरे गांव गांगाहोनी का भी है। यहां तो सांसद एक बार भी नहीं गए, अफसरों के भरोसे व्यवस्था होने के कारण सड़क का निर्माण तक नहीं हो पाया।
दरअसल वोटरों को साधने के लिए सांसद नागर ने सारंगपुर विधानसभा के संडावता और ब्यावरा के गंगाहोनी गांव को गोद लिया था। उन्होंने इन दोनों गांवों को आदर्श बनाने का वादा किया था। लेकिन बेतरतीब विकास और सुविधाओं में विस्तार नहीं होने के कारण ग्रामीणों के मन में असंतोष है।
शुरू में सांसद सक्रिय रहे तो अफसर भी दौड़-भाग कर योजनाओं का खाका तैयार करते नजर आए। लेकिन उनका क्रियान्वयन बहुत ही कमजोर रहा। राज्य और केंद्र में भाजपा की सरकार होने के बाद भी दो में से एक गांव भी आदर्श नहीं बन पाया। आलम यह है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि सहित कई अन्य विभागों के अधिकारियों-कर्मचारियों के पद भरे नहीं गए। इससे योजनाओं का लाभ लोगों तक नहीं पहुंचा।
डिलीवरी प्वाइंट भी बंद
राजगढ़ के समृद्ध गांवों में शुमार संडावता में उप स्वास्थ्य केंद्र का भारी भरकम भवन तो है, पर स्टाफ के नाम पर केवल एएनएम की पदस्थापना की गई है। पांच साल तक लोग डॉक्टर की मांग करते रहे, पर पूरी नहीं हो पाई। स्थिति यह है कि तीन माह से डिलीवरी प्वाइंट भी बंद हो गया है।
महिलाओं को प्रसव के लिए नरसिंहगढ़ जाना पड़ता है। एएनएम केवल रेफर पेपर तैयार कर रही हैं। उनका कहना है कि डॉक्टर नहीं होने से जोखिम कैसे ले सकते हैं। जबकि गांव के ३२० लोगों के हेल्थ कार्ड बनाए गए थे।
सड़कें सुधरी, नालियों का निर्माण अधूरा
संडावता गांव भौगोलिक रूप से भी समृद्ध है। यह सारंगपुर, खिचलीपुर और राजगढ़ विधानसभा सीटों का जंक्शन जैसा है। इन सभी रूटों के लिए सड़कों का निर्माण होने से कनेक्टिविटी बेहतर हुई है। गांव के भीतरी इलाकों में भी सीसी सड़कों का निर्माण हुआ है। लेकिन नालियों का निर्माण अधूरा होने के कारण जल निकासी नहीं हो पा रही है।
रोजगार के लिए पहल
उद्योग तो नहीं लगे पर गांव में महिलाओं के ३२ समूह बनाकर उन्हें प्रोत्साहन के प्रयास हुए हैं। ३६० महिलाओं को फिनाइल, अगरबत्ती, मसाला उद्योग, सेनेटरी पेड, रिपैकेजिंग चाय पत्ती, स्कूल ड्रेस, बैंक सखी आदि के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराया गया है।