सूबे में जो सरकारी निर्माण काम अटके हैं, उनमें से अधिकतर सड़क से संबंधित है। बीती जुलाई में ही ठेकेदारों ने जीएसटी के असर के कारण आर्थिक बोझ बढऩे पर काम ठप होने की चेतावनी दे दी थी। अधिकतर मामलों में बीस प्रतिशत तक लागत बढ़ गई है।
लोक निर्माण मंत्री रामपाल सिंह ने इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जानकारी दी थी। जिसके बाद सीएस बीपी सिंह की अध्यक्षता में कमेटी के जरिए इस मामले में रास्ता खोजना तय किया गया था। सूत्र बताते है कि इसके तहत यह विचार किया गया कि इन ठेकेदारों के अनुबंध पीरियड को बढ़ाकर नुकसान की पूर्ति की जा सकती है, लेकिन सरकार अब टोल भी खत्म कर रही है। अब नुकसान कैसे पूरा होगा इसे लेकर चिंता की स्थिति है। संबंधित ठेकेदारों को निर्धारित स्थापन होर्डिंग्स-विज्ञापन के अधिकार देकर भी इसकी पूर्ति की जा सकती है। इन विकल्पों पर फिलहाल विचार-विमर्श चल रहा है।
केंद्र को भेजेंगे प्रस्ताव
जीएसटी फार्मूले के तहत केंद्र सरकार द्वारा पांच साल तक राज्यों को नुकसान की भरपाई करने का प्रावधान है। इसलिए राज्य सरकार की कोशिश है कि इस आर्थिक भार बढऩे को भी जीएसटी के असर के कारण होने वाली प्रतिपूर्ति में शामिल किया जा सके। सरकार इसके तहत केंद्र से इसके लिए आर्थिक मदद मांग सकती है।
चुनाव के कारण अधिक चिंता
सूबे में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है इस कारण सरकार की चिंता अधिक है। वजह यह कि निर्माण कार्यों के ठप होने का असर चुनावी अभियान पर पड़ेगा। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अगले दो महीने दस करोड़ से अधिक के निर्माण कामों का शुभारंभ खुद करना तय किया है। इसके तहत भी नए काम शुरू होना है, लेकिन पुराने कामों के रूकने से चुनाव के समय दिक्कत हो सकती है। इसलिए सरकार पुराने कामों को निरंतर चलाने की कोशिश कर रही है।