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GST: जानिये क्यों? ब्रांडेड माल बेचने वाली कंपनियां बदल रही हैं अपनी पैकिंग

locationभोपालPublished: Sep 16, 2017 01:08:13 pm

खाद्य वस्तुओं के विक्रय में ब्रांडेड एवं अनब्रांडेड वस्तुओं के बीच छिड़ी जंग।

GST impact
भोपाल। जीएसटी लागू होने के बाद होलसेल एवं रिटेल बाजारों में दैनिक उपयोग की खाद्य वस्तुओं के विक्रय में ब्रांडेड एवं अनब्रांडेड वस्तुओं के बीच जंग छिड़ गई है।
कई ब्रांडेड माल बेचने वाली कंपनियों ने पैकिंग बदलकर अनब्रांडेड के नाम से खाद्यान्न बेच रही है। इतना ही नहीं उन्होंने अपने रजिस्ट्रेशन भी कैंसिल करवाना शुरू कर दिया है।
सरकार को भी इस बात की जानकारी मिल रही है। उल्लेखनीय है कि ब्रांडेड खाद्य सामग्रियों को सरकार ने जीएसटी (5 प्रतिशत) के दायरे में रखा है। इसलिए टैक्स से बचने के लिए कई ब्रांडेड नाम अपने आपको को ब्रांड से दूर कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि पैकिंग में माल तो वही है लेकिन उसे अनब्रांडेड करके ही बेचा जा रहा है, जबकि कीमत ब्रांडेड की बोलकर वसूली जा रही है। कारोबारियों ने भी ब्रांडेड माल के ऑर्डर देना बंद कर दिया है।
एक्शन में सरकार :
हाल में ही जीएसटी काउंसिल की बैठक में वित्तमंत्रअरुण जेटली ने स्पष्ट किया था कि 15 मई 2017 को जो ब्रांड पंजीकृत होगा उस पर जीएसटी लगाया जाएगा। फिर चाहे इस तिथि के बाद उस ब्रांड का पंजीकरण रद्द ही क्यों न करा दिया गया हो। उल्लेखनीय है कि बिना ब्रांड वाले खाद्य उत्पादों को जीएसटी के तहत छूट दी गयी थी। जबकि पैकिंग वाले ब्रांडेड खाद्य उत्पादों पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाया गया है।
बिना ब्रांड वाले खुले खाद्य पदार्थ पर शून्य जीएसटी रखा गया है। यही कारण है कि कई उद्यमियों ने जीएसटी से बचने के लिए अपने उत्पादों का ब्रांड पंजीकरण रद्द करवाना शुरू कर दिया।
प्रमुख वस्तुओं पर टैक्स की दर :
0 प्रतिशत – खुला खाद्य अनाज, बिना मार्का आटा, बिना मार्का मैदा, बिना मार्का बेसन, खुला पनीर, प्रसाद, खजूर का गुड़, नमक, गुड़, दूध, अंडे, दही, लस्सी।
05 प्रतिशत – शक्कर, चायपत्ती, काफी के भुने दाने, खाद्य तेल, स्किम्ड दूध पावडर, पैक्ड पनीर, काजू, किशमिश, पीडीएस केरोसिन, घरेलू एलपीजी, कपड़े (1000 रु. तक), अगरबत्ती।
ब्रांडेड-अनब्रांडेड को लेकर बाजार में कंफ्यूजन है। सरकार किसको ब्रांडेड मान रही है और किसे अनब्रांडेड इसकी स्थिति स्पष्ट नहीं है। स्पष्ट करना चाहिए।
– मनोज मूंदड़ा, पूर्व महामंत्री, भोपाल चेम्बर ऑफ कॉमर्स

सरकार ने ब्रांडेड की डेफिनेशन में परिवर्तन किया है। अब जो वस्तु एवं जींस के नाम से रजिस्टर्ड या अनरजिस्टर्ड है, परंतु ब्रांड के नाम पर बेचे जाएंगे तो वे जीएसटी के दायरे में आएंगे।
– राजेश जैन, चार्टर्ड अकाउंटेंट
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