दरअसल यह संभावना इसलिए व्यक्त की जा रही है क्योकिं शनिवार को पीएम नरेंद्र मोदी(pm modi) ने कहा था कि यदि नवंबर पहले दशक में होने वाली जीएसटी की मीटिंग में सहमति बनती है तो सरकार कारोबारियों को मदद करने और इकॉनमी को मजबूती देने के लिए कुछ कदम उठा सकती है। पिछले महीने मंत्रियों के पैनल छोटे कारोबारियों के लिए टैक्स की दरों को कम करने की सिफारिश की थी।
जीएसटी काउंसिल बैठक में इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विस टैक्स रिफंड पर बड़ा फैसला लिए जाने की उम्मीद है। माना जा रहा है इसके साथ ही काउंसिल डेढ़ करोड़ रुपए तक के सालाना टर्नओवर वाले व्यवसायियों को हर माह जीएसटी के भुगतान और मासिक रिटर्न फाइल करने से छूट दे सकती है।
ये भी पढ़ें : GST ने बिगाड़ा सरकारी खजाने का गणित, जानिये कैसे? दरअसल जुलाई में केंद्र की मोदी सरकार ने एक साथ देश के 29 राज्यों में एक समान अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था की शुरुआत की थी। इसके बाद से ही देश में छोटे एवं मझोले स्तर के कारोबारी वर्किंग कैपिटल की कमी के चलते मुश्किल में हैं। नोटबंदी के फैसले से 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने और जीएसटी को लागू करने के तरीके को लेकर एक वर्ग मोदी सरकार की कड़ी आलोचना कर रहा है।
क्या कहते हैं व्यापारी…
वहीं जीएसटी में राहत देने की बात सामने आते ही कई व्यापारियों के चेहरे पर खुशी लौट आई है। उनका मानना है कि जीएसटी में राहत से व्यापारियों को काफी हद तक रिलीफ मिलेगा।
वहीं जीएसटी में राहत देने की बात सामने आते ही कई व्यापारियों के चेहरे पर खुशी लौट आई है। उनका मानना है कि जीएसटी में राहत से व्यापारियों को काफी हद तक रिलीफ मिलेगा।
यदि रिटर्न भरने में कुछ रिलेक्सेशन मिले और टर्नओवर की सीमा का बढ़ाया जाता है। तो यह एक अच्छी पहल होगी, साथ ही हम व्यापारियों को पुन: खड़ा होने में मदद भी इससे मिलेगी।
– गणेश जैन, जरनल मर्चेंट
– गणेश जैन, जरनल मर्चेंट
टर्नओवर को लेकर यदि कुछ राहत दी जाती है, तो यह व्यापार को पुन्: जीवन प्रदान करने जैसा होगा। वहीं तीन माह में एक बार रिटर्न का भुगतान हमें काफी राहत देगा।
– अजय शुक्ला, दुकानदार
– अजय शुक्ला, दुकानदार
टर्नओवर की सीमा में बढ़ौतरी तो फायदेमंद होगी ही, रिटर्न के संबंध में भी जिन रियायतों की बात चल रही है। वह हम सभी छोटे व्यापारियों के लिए काफी फायदेमंद होने के साथ ही जीवनदायी होगा।
– सारिका शर्मा, डॉयरेक्टर प्रा.लि. निजी कंपनी
– सारिका शर्मा, डॉयरेक्टर प्रा.लि. निजी कंपनी
यह मिल सकती है राहत –
माना जा रहा है कि जीएसटी पर हो रही आलोचनाओं से बचने के लिए जल्द ही छोटे कारोबारियों के लिए तीन महीने में एक बार जीएसटी का भुगतान करके रिटर्न तिमाही दाखिल करने का निर्णय लिया जा सकता है। साथ ही काउंसिल कंपोजीशन स्कीम की मौजूदा 75 लाख रुपए सालाना टर्नओवर की सीमा को बढ़ाकर एक करोड़ रुपए कर सकती है।
माना जा रहा है कि जीएसटी पर हो रही आलोचनाओं से बचने के लिए जल्द ही छोटे कारोबारियों के लिए तीन महीने में एक बार जीएसटी का भुगतान करके रिटर्न तिमाही दाखिल करने का निर्णय लिया जा सकता है। साथ ही काउंसिल कंपोजीशन स्कीम की मौजूदा 75 लाख रुपए सालाना टर्नओवर की सीमा को बढ़ाकर एक करोड़ रुपए कर सकती है।
सूत्रों के मुताबिक जीएसटी के अनुपालन में छोटे कारोबारियों को राहत देना मुख्य मुद्दा है। वहीं मौजूदा कारोबारी सीमा सालाना 75 लाख रुपए को बढ़ाकर एक करोड़ रुपए कर सकती है। दरअसल कंपोजीशन स्कीम के तहत पंजीकृत व्यापारियों को एक प्रतिशत, मैन्यूफैक्चरर को दो प्रतिशत और रेस्टोरेंट सेवा देने वालों को पांच प्रतिशत की दर से जीएसटी का भुगतान करना होता है। उन्हें जीएसटी का मासिक भुगतान और रिटर्न भी हर माह दाखिल नहीं करना पड़ता। हालांकि ये व्यापारी टैक्स इन्वॉइस जारी नहीं कर सकते है इसलिए वे इनपुट पर दिए गए टैक्स का क्रेडिट प्राप्त नहीं कर सकते हैं।
माना जा रहा है कि कंपोजीशन स्कीम के साथ-साथ डेढ़ करोड़ रुपए तक सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों को जीएसटी का हर माह भुगतान और रिटर्न दाखिल करने छूट भी दी जा सकती है। ऐसा होने पर ये कारोबारी प्रत्येक तिमाही पर रिटर्न दाखिल कर सकेंगे और जीएसटी का भुगतान कर सकेंगे।
सूत्रों के अनुसार काउंसिल में सीजीएसटी कानून की धारा 9 (4) के प्रावधानों को चालू वित्त वर्ष के अंत तक निलंबित रखने के प्रस्ताव पर भी चर्चा हो सकती है। दरअसल इस धारा के तहत यह प्रावधान किया गया है कि अगर कोई व्यक्ति या कंपनी किसी गैर-पंजीकृत व्यक्ति से ऐसी वस्तु या सेवा खरीदता है जिस पर जीएसटी देय है तो जीएसटी भरने की जिम्मेदारी जीएसटी में पंजीकृत व्यापारी पर होगी। माना जा रहा है कि ई-वे बिल को राष्ट्रव्यापी स्तर पर कब से क्रियान्वित किया जाए इस पर भी ठोस निर्णय लिया जाएगा।
सूत्रों ने कहा कि जीएसटी में राहत देने के लिए भी कुछ उपाय किए जा सकते हैं। काउंसिल की हैदराबाद में हुई बैठक में निर्यातकों की समस्याओं पर विचार करने के लिए अधिकारियों की एक समिति बनाने का निर्णय किया गया था। इसके बाद वित्त मंत्री ने राजस्व सचिव हसमुख अढिया के नेतृत्व में यह समिति गठित की थी। काउंसिल समिति की सिफारिशों के आधार पर निर्यातकों के लिए राहत के प्रस्तावों का फैसला होगा।